भोपाल, 12 मार्च (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा व प्रौद्योगिकी मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि हमारे देश में मृत देह में जीवन डालने की दवा ‘संजीवनी बूटी’ उपलब्ध थी, मगर बाहरी शासकों ने यहां की प्राचीन उत्कृष्ट खोजों और औषधियों को दोयम दर्जा दिया।
भोपाल मेमोरियल हस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में आयोजित चार दिवसीय ‘अनुसंधान क्रियाविधि कार्यशाला’ में गुप्ता ने कहा, ‘बाहरी शासकों के रवैए के चलते हम अपनी खोजों व औषधियों के महत्व से अंजान होते गए, अब जरूरत है कि हम इन पर भी अनुसंधान करें, ताकि अपनी धरोहर से आमजन के जीवन को सुखमय बना सकें।’
मंत्री ने चरक, धनवतंरि और सुषेन जैसे वैद्यों का जिक्र करते हुए कहा कि इनकी दवाओं के फार्मूले आज भी प्राचीन ग्रंथों में उपलब्ध हैं और ये हमारी धरोहर हैं, जिनका उपयोग किया जाना चाहिए।
भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल के निदेशक प्रोफेसर विनोद सिंह ने अनुसंधान, विज्ञान और प्रति के समावेश को समझने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं सभी शिक्षण संस्थायों में होनी चाहिए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. प्रमोद वर्मा ने भी सही अनुसंधान विधियों की जरूरत पर बल दिया।
भोपाल मेमोरियल हस्पिटल के निदेशक मनोज पांडे ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश दिया। कार्यशाला में भोपाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश के चिकित्सक हिस्सा ले रहे हैं। यह कार्याशाला 15 मार्च तक चलेगी।