मध्यप्रदेश में इस साल भी बाल विवाह रोकने के लिये ऐहतियाती कदम उठाये गये हैं। राज्य सरकार द्वारा बाल विवाह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिये पूरे साल लाड़ो अभियान चलाया जा रहा है। लाड़ो अभियान में एक से दस मई तक ग्राम-स्तर तक कोर-ग्रुप की बैठकें करवाई जा रही हैं। बैठकों के बाद अशासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधि क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं।
आयुक्त महिला सशक्तिकरण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने समस्त जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी को लाड़ो अभियान की कार्य-योजना के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है। अक्षय तृतीया 13 मई को शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा अधिकारियों को क्षेत्रों का भ्रमण कर स्थिति पर सतत निगरानी रखने को कहा गया है। क्षेत्र का दौरा कर प्रतिनिधियों को सुनिश्चित करना होगा कि बाल विवाह न होने पाये। जिला कलेक्टरों से भी सभी विभागों से समन्वय कर बाल विवाह रोकने के लिये कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि बाल-विवाह रोकने के लिये महिला सशक्तिकरण संचालनालय स्तर पर कार्ययोजना तैयार की गई है। कार्य-योजना के अन्तर्गत सभी स्थानों पर कोर ग्रुप का गठन किया गया है। कोर ग्रुप में स्थानीय ग्राम पंचायत के सरपंच, पार्षद, विद्यालय के प्राचार्य, अधिकतम दो एनजीओ के प्रतिनिधि, मुखिया, पंडित, मौलवी, चर्च के फादर, गुरुद्वारे के ग्रंथी आदि धर्मगुरु, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और ग्राम के प्रमुख व्यक्ति शामिल किये गये हैं। कोर ग्रुप अपने क्षेत्र में होने वाले बाल-विवाह पर निगरानी रखेंगे तथा उन्हें होने से रोकेंगे। चूँकि ग्राम स्तर पर विवाह नायन जोड़ती है, अतः उसे भी कोर ग्रुप में शामिल किया गया है। स्थानीय किशोरी बालिकाओं को भी जागरूकता अभियान से जोड़ा गया है।
जिला प्रशासन बाल-विवाह की जानकारी मिलने पर माता-पिता को परामर्श देकर बाल-विवाह रोकने का प्रयास करेगा। लोगों से भी अपील की गई है कि यदि उनके आस-पास या क्षेत्र में बाल-विवाह होने की सूचना है तो इसकी जानकारी निकटतम पुलिस स्टेशन, जिला कलेक्टर या महिला सशक्तिकरण अधिकारी को दे। बाल विवाह रोकने के लिये बालिकाओं और संवेदनशील क्षेत्रों की सूची एसडीओपी और जनपद पंचायत के सीइओ को सौंपी गई है। ये सूची सभी सरपंच, सचिव, वार्ड प्रभारी को उपलब्ध करवाई गई है।