राजसमंद (राजस्थान), 2 मार्च (आईएएनएस)। शिवलाल आठवीं कक्षा का छात्र है। स्कूल जाना देर से शुरू किया, अब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता। वह अपनी मां को बता चुका है कि वार्षिक परीक्षा में वह पक्का फेल हो जाएगा।
राजसमंद (राजस्थान), 2 मार्च (आईएएनएस)। शिवलाल आठवीं कक्षा का छात्र है। स्कूल जाना देर से शुरू किया, अब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता। वह अपनी मां को बता चुका है कि वार्षिक परीक्षा में वह पक्का फेल हो जाएगा।
शिवलाल के ऐसा कहने की वजह? वजह बिल्कुल साफ है। उसकी उम्र के बाकी बच्चे जब पढ़ते-लिखते हुए मौज-मस्ती भी कर रहे हैं, वह बाल विवाह की वजह से मजाक का पात्र बना हुआ है। वह बेचारा सहपाठियों द्वारा उड़ाई जा रही खिल्ली नहीं सक सकता।
शिवलाल (14)ने आईएएनएस संवाददाता को बताया, “मेरा कक्षा में जाने का मन नहीं करता। मेरे सहपाठी मेरा मजाक उड़ाते हैं। वह मुझे ‘पामना’ (दूल्हा) कहते हैं। मुझे यह अच्छा नहीं लगता।”
शिवलाल की सहपाठी रतनी उसकी मंगेतर है। उसे भी स्कूल में रोजाना इस तरह का तीखे व्यंग्य झेलने पड़ते हैं।
रतनी ने आईएएनएस को बताया, “मुझे शिवलाल अच्छा नहीं लगता, लेकिन मेरी अम्मा कहती हैं कि जल्द हमारी शादी होगी।”
राजस्थान के राजसमंद जिले के मोरा गांव में प्राथमिक विद्यालय के परिसर में खड़ी रतनी ने मानो अपनी किस्मत के आगे हथियार डाल दिए हैं। वह स्वयं को लाचार पाती है। वह अपनी उम्र से छोटी लगती है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के मामले में राजस्थान विश्व में दूसरे स्थान पर है।
कानून कहता है कि भारत में लड़कियां 18 और लड़के 21 साल का होने से पहले शादी नहीं कर सकते।
आईएएनएस संवाददाता ने यहां कई गांवों का दौरा किया और पाया कि कई अभिभावक कच्ची उम्र में अपने बच्चों की शादी करा रहे हैं। बाली उम्र में शादी होने से लड़कियों को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं को झेलनी पड़ती हैं।
मोरा गांव निवासी सात वर्षीया उपमा उन्हीं बदकिस्मत लड़कियों में से एक है।
चंचल स्वभाव की उपमा ने आईएएनएस को बताया, “मैं विवाहिता हूं, इसलिए मेरी मां मुझे खेलने नहीं देती।”
उसका बाल पति पड़ोसी गांव सकरवास में रहता है।
यह पूछे जाने पर कि शादीशुदा होकर कैसा लगता है? जवाब में 12 वर्षीया पुष्पा ने शरमाते हुए कहा, “मुझे नहीं मालूम।”
गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) जतन संस्थान की कार्यकर्ता नीता कुमावत ने आईएएनएस को बताया, “यहां बाल विवाह बहुत बड़ी समस्या है। 15 साल की बच्ची के गर्भवती होने की कल्पना करिए। राज्य में मातृ व शिशु मृत्य दर अधिक होने की मुख्य वजह यही है।”
मोरा गांव में आईएएनएस को मिली हर महिला एनीमिया ग्रस्त व बीमार दिखी।
पुष्पा की मां शंकरी देवी (31) उन्हीं महिलाओं में से एक हैं। उनकी पांच साल की उम्र में शादी करा दी गई थी। उनके छह बच्चे हैं।
शंकरी के बाल पूरी तरह सफेद हो चुके हैं। उन्होंने हाल में नसबंदी का ऑपरेशन कराया। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मैं 16 साल की उम्र में मां बन गई। मैं हमेशा बीमार जैसा महसूस करती हूं।”
यह पूछे जाने पर कि तो पुष्पा की इतनी कम उम्र में शादी क्यों कराई। जवाब में उन्होंने दुखी मन से कहा, “मुझे यह नापसंद है, लेकिन बाल विवाह हमारी रीत है। हम धूम-धड़ाके वाली शादी का खर्च नहीं उठा सकते। पुष्पा की शादी उसकी दो बड़ी बहनों की शादी के साथ ही करा दी थी।”
(यह आलेख नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया द्वारा दी गई नेशनल मीडिया फेलोशिप के तहत हुए शोध का हिस्सा है।)