ताईपेई, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। शोधार्थियों ने एक ऐसे बायोमार्कर की खोज की है, जो फेफड़ों के कैंसर के प्रारंभिक चरण का पता लगा सकेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज कैंसर रोगियों के जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, अमेरिका में फेफड़ों के कैंसर से हर साल करीब 1,58000 लोगों की मौत होती है। यह चार सबसे खतरनाक कैंसर में से एक है। इन सभी फेफड़ों के कैंसर की 85 प्रतिशत वजह नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर ( एनएससीएलसी) है।
ताईनान यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता पाई-जंग लू ने बताया, “नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर ( एनएससीएलसी) का अगर पहले ही पता चल जाता है तो 70 प्रतिशत रोगी पांच चाल ज्यादा जिंदा रह सकते हैं। अगर एमएलसीएलसी का एडवांस्ड स्टेज में पता चलता है तो पांच साल के सर्वाइवल पीरियड में 10 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।”
शोधकर्ताओं ने एक नए संभावित बायोमार्कर के रूप में हनटिंग्टन इंटरैक्शन प्रोटीन-1(एचआईपी 1) का परीक्षण किया है। इन्होंने फेफड़ों में कैंसर की स्थिति, वृद्धि और फैलाव के अलावा इससे होने वाली मृत्यु के कारणों की भी जांच की है।
शोधार्थियों ने 121 रोगियों के फेफड़ों के ऊतकों का परीक्षण शुरू किया। इसके बाद उन्होंने पाया कि शुरुआती दौर के रोगियों में एचआईपी-1 की मात्रा बीमारी के बाद के चरणों वाले रोगियों से ज्यादा थी।
इसके अलावा वैज्ञानिकों ने उच्च एचआईपी-1 वाले रोगियों में लंबे समय तक जीवित रहने के लक्षणों को पाया।
लू के अनुसार, “अगर हम एचआईपी-1 के स्तरों और कार्यो को नियंत्रण कर सकेंगे तो हम फेफड़ों के कैंसर के मेटास्टेटिस को शुरुआती चरण में ही रोकने में सक्षम हो सकते हैं।”
यह शोध ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पाइरेट्री एंड क्रिटिकल मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है।