बाजार में आई इस ताजा गिरावट से साफ हो गया है कि मौजूदा आर्थिक मंदी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है, क्योंकि चीन के बाजार नववर्ष के अवसर पर बंद रहे और इस दौरान चीन ने न तो आर्थिक आंकड़े जारी किए और न ही किसी नई नीति की घोषणा की।
अनेक लोगों का मानना है कि बाजार में आई मौजूदा गिरावट के पीछे कई वजहें हैं, जिनमें जापान द्वारा अचानक ऋणात्मक ब्याज दर अपनाना, अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर बनी अनिश्चितता, लगातार गिर रहीं कच्चे तेल की कीमतें और यूरोप के अग्रणी बैंकों की चिंतनीय वित्तीय स्थिति शामिल हैं।
बीते सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को चीन से कोई संकेत नहीं मिला, इसके बावजूद बाजार में गिरावट के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने की कोशिशें की जा रही हैं, जो वास्तविक समस्या से मुंह मोड़ने जैसा है।
गौरतलब है कि पिछले एक वर्ष से विश्व अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रही है और संकट को कम करने के लिए अनेक देशों ने अपने-अपने यहां उदार मौद्रिक नीति का सहारा लिया है। महंगाई में कमी के कारण नीति निर्माताओं के लिए इस समस्या का समाधान और चुनौतीपूर्ण हुआ है।
निश्चित तौर पर चीन इन समस्याओं से अछूता नहीं रहा है और चीन पर भी सुधार का दबाव बढ़ा है। इन सबके बावजूद विशेषज्ञों के दावे के उलट चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और निकट समय में इसके ‘ध्वस्त’ होने की संभावना न के बराबर है।
बीते वर्ष चीन का सकल घरेलू उत्पाद विकास दर 6.9 फीसदी रहा। 2014 की अपेक्षा 2015 में विकास दर धीमा रहने के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया की कुछ सबसे तेज विकास करने वाली अर्थव्यस्थाओं में से है। चीन की तेजी से वृद्धि कर रही विशाल अर्थव्यवस्था को देखते हुए वार्षिक आंकड़े पिछले वर्षो के आंकड़ों को पार कर जाएंगे।