भोपाल, 16 जुलाई – मध्यप्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने बांस मिशन को कृषि विभाग का हिस्सा बनाने की पैरवी की है। बांस मिशन इस समय वन विभाग का हिस्सा है। इस सिलसिले में कृषि मंत्री पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। कृषि मंत्री पटेल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप बांस मिशन से किसानों को जोड़कर उनकी आय दोगुनी करने के प्रयासों में तेजी लाई जा सकती है।
उन्होंने पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी बांस की खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बांस मिशन ने किसानों को सशर्त बांस के पौधों के लिए अनुदान देने की योजना बनाई है। किसानों से बांस का राइजोम अधिमान्य निजी और शासकीय नर्सरी से लेने के लिए कहा जा रहा है। इस शर्त को विलोपित किया जाना चाहिए।
कमल पटेल ने बांस राइजोम की उपलब्धता को लेकर आ रही परेशानी का जिक्र करते हुए कहा है कि शासकीय नर्सरी में पर्याप्त राइजोम उपलब्ध नहीं है, जबकि शासकीय और निजी नर्सरी में राइजोम की कीमत में बड़ा अंतर है। शासकीय नर्सरी में राइजोम 10-15 रुपये में उपलब्ध है, जबकि निजी नर्सरी में यही राइजोम 35-40 रुपये में दिया जा रहा है। शासकीय नर्सरी में राइजोम की कमी से किसान महंगे दाम पर यह लेने को मजबूर हैं।
पत्र में कहा गया है कि प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। गैर वन क्षेत्र में बांस को घास माना गया है। बांस मिशन किसानों, बेरोजगारों और महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण योजना है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाने में भी मदद मिलेगी। बांस मिशन भूमिगत जलक्षेत्र के विस्तार और सूखे क्षेत्र के निराकरण में भी सहायक होगा।
कमल पटेल ने कहा कि वर्तमान में बांस मिशन वन विभाग द्वारा संचालित है, जबकि इसे कृषि विभाग के अधीन लाने की जरूरत है, जिससे अधिक से अधिक किसानों को इस मिशन से जोड़ा जा सके। देश के एक दर्जन राज्यों में बांस मिशन कृषि विभाग के अंतर्गत है, लिहाजा मध्यप्रदेश में भी यही व्यवस्था लागू करने के लिए शीघ्र निर्णय लिया जाए।