भोपाल, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 53 मरीजों की आंखों की दृष्टि जाने के मामले की जांच कर सामाजिक संगठनों ने बड़ा खुलासा किया है और दावा किया है कि बड़वानी से इंदौर गए मरीजों के दो से तीन बार तक ऑपरेशन किए जा चुके हैं, जिससे उनकी रोशनी पूरी तरह चली गई है।
जन स्वास्थ्य अभियान और नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने सोमवार की रात तक प्रभावितों के बीच रहकर पाया है कि उनके उपचार में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती गई है और उन्हें अमानक किस्म की दवाएं दी गई हैं।
जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि और नर्मदा बचाओ आंदोलन के देवी सिंह तोमर ने कुछ प्रभावितों के परिजनों की मौजूदगी में मंगलवार को संवाददाताओं केा बताया कि बड़वानी में हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशनों के दौरान राष्ट्रीय अंधत्व निवारण अभियान के दिशा-निर्देशों की खुलकर अवहेलना की गई है।
उन्होंने बताया कि 16 से 24 नवंबर तक बड़वानी में लायंस क्लब के सहयोग से ऑपरेशन शिविर लगा था। इस शिविर में कुल 86 लोगों के ऑपरेशन हुए। ऑपरेशन के बाद 46 लोगों से उनके जांच दल ने सीधा संपर्क किया, जिसमें पता चला कि ऑपरेशन कराने वाले कई मरीजों को 18 नवंबर से ही आंखों में खुजली आने लगी थी, मगर अस्पताल प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। बाद में स्थिति बिगड़ने पर मरीजों को इंदौर के एमवाइएच अस्पताल भेजा गया, मगर एमवाइएच से ये मरीज अरविंदो अस्पताल कैसे पहुंच गए, इसका ब्योरा किसी के पास नहीं है।
अमूल्य निधि का आरोप है कि अरविंदो अस्पताल भेजे गए अधिकांश मरीजों के दोबारा और तीसरी बार भी ऑपरेशन हुआ है, जिससे जिन मरीजों को धुंधला दिखाई भी दे रहा था, अब उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। इस अस्पताल को सरकार ने उपचार के लिए 37 लाख रुपये अग्रिम ही दे दिए थे। इस अस्पताल पर सरकार द्वारा विशेष मेहरबानी दिखाने पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि एमवाइएच में सक्षम और दक्ष चिकित्सकों की कमी नहीं है।
उनका आरोप है कि इंदौर से इलाज कराकर बड़वानी लौटे 43 मरीजों को सिर्फ डिस्चार्ज टिकट दिया गया है, उन्हें वह ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे पता चल सके कि उनका किस तरह से इलाज हुआ और कितनी बार ऑपरेशन किए गए हैं।
चतर सिंह ने अपनी पत्नी साया बाई का मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था। वह बताता है कि ऑपरेशन के बाद उसकी पत्नी को धुंधला दिखाई दे रहा था, मगर इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान दो बार और उसकी आंख का ऑपरेशन हुआ, जिससे रोशनी पूरी तरह चली गई है।
इसी तरह अमजद खान ने दावा किया है कि उसके पिता रशीद खान की आंख के बडवानी के बाद इंदौर में ऑपरेशन हुए मगर रोशनी नहीं लौटी है।
अमूल्य निधि का आरोप है कि सरकार दवा कंपनी और दोषी अफसरों को बचाने में लगी हुई है। सिविल सर्जन के अलावा चिकित्सक व अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है, मगर अंधत्व निवारण अभियान से जुड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं। साथ ही यह भी नहीं बताया जा रहा है कि कौन-कौन से दवाएं दी गईं।
इतना ही नहीं, ऑपरेशन कराने वाले 26 मरीजों का क्या हाल है यह भी छुपाया जा रहा है। इस शिविर में 86 मरीजों का ऑपरेशन हुआ था, जिनमें से 60 की आंख में का संक्रमण हुआ और उनमें से 53 की रोशनी जाने की बात कही जा रही है। 26 मरीजों का कोई हिसाब नहीं है।