न्यूयॉर्क, 19 नवंबर (आईएएनएस)। बच्चों में सर्दी-जुकाम के प्रारंभिक लक्षणों के सामने आते ही उन्हें एंटीबायोटिक देना लाभकारी होता है, क्योंकि इससे बच्चों की श्वसन नली के निचले हिस्से में होनेवाले गंभीर संक्रमण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ।
जिन बच्चों में सर्दी-जुकाम के बढ़ने पर गले में बेहद घरघराहट और सांल लेने में तकलीफ होती है, उन्हें बचाव के तौर पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दवा दी जा सकती है।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रोफेसर लियोनाडरे बकेरियर के मुकाबिक, “ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसे प्रेडनिसोन ऐसी परिस्थितियों को ठीक करने के लिए एक मानक दवा मानी जाती है।”
बकेरियर ने कहा, “कुछ अध्ययनों से साबित हुआ है कि यह उपचार बड़े बच्चों में कारगर नहीं होता है। इसलिए हमें एक ऐसे इलाज की जरूरत है, जो श्वसन नली के ऊपरी हिस्से में संक्रमण से लड़े, ताकि संक्रमण नीचे तक नहीं फैले।”
अमेरिका के नौ अकादमी चिकित्सा केंद्रों में शोधकर्ताओं ने 607 बच्चों पर प्लेसिबो के बदले एजीथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक का परीक्षण किया।
बच्चों की उम्र एक साल से लेकर 6 साल तक थी, जिनकी सांस नली के निचले हिस्से में संक्रमण का इतिहास रहा था। हालांकि वे स्वस्थ थे।
इस अध्ययन में प्लेसिबो दवा लेने वाले 57 बच्चों की तुलना एजिथ्रोमाइसिन लेने वाले 35 बच्चों से की गई।
इसके बाद उन्होंने 92 बच्चों की बीमारी को गंभीर पाया, क्योंकि इन्हें ओरल कॉर्टिकोस्टीरॉइड्स की जरूरत थी। प्लेसबो की तुलना में एजिथ्रोमाइसिन दवा ज्यादा असरदार साबित हुई।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने कुछ परिवारों के साथ मिलकर उनके बच्चों में सर्दी-जुकाम के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर ही उपचार शुरू कर दिया, जिसके बाद सामने आया कि श्वसन संबंधी बीमारियों के शुरुआती चरण में एजिथ्रोमाइसिन दवा बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकती है।
यह अध्ययन ऑनलाइन पत्रिका ‘जेएएमए’ में प्रकाशित हुआ है।