Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 बच्चों को अंडे ना खिलाने का शिवराज सिंह का फैसला- वैज्ञानिक आधार या राजनीतिक डर? | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » बच्चों को अंडे ना खिलाने का शिवराज सिंह का फैसला- वैज्ञानिक आधार या राजनीतिक डर?

बच्चों को अंडे ना खिलाने का शिवराज सिंह का फैसला- वैज्ञानिक आधार या राजनीतिक डर?

June 2, 2015 10:11 am by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on बच्चों को अंडे ना खिलाने का शिवराज सिंह का फैसला- वैज्ञानिक आधार या राजनीतिक डर? A+ / A-

shivraj-singh-chouhanअनिल सिंह (भोपाल)– मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिड-डे मील में बच्चों को अंडा ना परोसने का फरमान जारी किया है .एक मुख्यमंत्री जो राज्य का मुखिया होता है एवं बिना किसी पक्षपात के जनहित में फैसला लेता है का यह फरमान अन्यायपूर्ण है.भारत की भूमि सनातन भूमि है और इस भूमि की परंपरा में खान- पान का भेद कभी नहीं रहा.हाँ यह जरूर रहा की जिसे जो रूचिकर लगे वह उसे खा सकता है.

एक तरफ शासन अंडा उत्पादन,मुर्गी-पालन एवं मछली पालन जैसे व्यवसायों को करने का प्रचार करता है,सेना और अन्य संस्थान इस मांग को प्राप्त करने वाले प्रमुख संस्थान हैं फिर एक मुख्यमंत्री का यह अन्यापूर्ण फैसला आखिर क्यों सामने आया यह सोच का विषय है.क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इतने कमजोर मुख्यमंत्री हैं की वे कोई नीतिगत,न्यायपूर्ण फैसला ना लेते दबाव में झुक जाएँ.

जब मनुष्य के शरीर में एल्ब्युमिन की कमी हो जाती है तब या तो उसे शरीर में बोतल से चढ़ाया जाता है जिसकी आमतौर पर कीमत एक लाख के आस-पास आती है या फिर इतना एल्ब्युमिन एक महीने रोज एक अंडा खाने से मिल जाता है जिसकी कीमत मात्र 150 रुपये होती है.

शिवराज के प्रमुख सेक्रटरी एस.के मिश्रा ने कहा,’मुख्यमंत्री जी के लिए यह पहले दिन से ही भावनात्मक मुद्दा रहा है। वैसे भी प्रोटीन के लिए अंडे के अलावा और भी कई विकल्प उपलब्ध हैं।’ इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने सार्वजनिक रूप से कहा था,’बच्चों को दूध और केले दिए जाएंगे, लेकिन अंडे कभी नहीं।’ हालांकि, प्रॉजेक्ट ऑफिसर्स ने सलाह दी है कि हफ्ते में दो या तीन बार बच्चों को अंडा दिया जाना चाहिए।

हिदू धर्म में खान-पान के भेद उत्पन्न कर उसे कमजोर करने की सियासत हजारों वर्षों से रही है,यह निर्णय उसी का एक संकेत है.जबकि होना यह चाहिए की जिसे जो चाहिए शासन योजना अनुसार उसे उपलब्ध करवाए.

सनातनी व्यवस्था में मांसाहारियों की अधिक संख्या रही है और यह निर्विवाद सत्य है.अनादी काल की इस संस्कृति में यदि ग्रामीण व्यवस्था का उदाहरण लें तो समाज में जो वर्ग बसते रहे उनमें ब्राह्मणों को छोड़कर अन्य सभी वर्गों में मांसाहार प्रचलित रहा है.ब्राह्मण जो पूर्व में एवं पश्चिम बंगाल में बसते हैं के घरों में आज भी मांसाहार निषेध नहीं है.फिर इन तथ्यों को भूल कर शिवराज सिह चौहान का यह निर्णय क्या कहा जाएगा क्या यह एक मुखिया को शोभा देता है.इस निर्णय से क्या समाज का भला होगा या नुकसान.क्या हम सैनिकों को मूली-गाजर खिला कर युद्ध लडवा सकते है यदि हाँ तो सारे देश में इस निर्णय को लागू करवा दें या पहले अपने मूल सनातन को समझें.

 

बच्चों को अंडे ना खिलाने का शिवराज सिंह का फैसला- वैज्ञानिक आधार या राजनीतिक डर? Reviewed by on . अनिल सिंह (भोपाल)- मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिड-डे मील में बच्चों को अंडा ना परोसने का फरमान जारी किया है .एक मुख्यमंत्री जो राज्य का मुखिया होत अनिल सिंह (भोपाल)- मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिड-डे मील में बच्चों को अंडा ना परोसने का फरमान जारी किया है .एक मुख्यमंत्री जो राज्य का मुखिया होत Rating: 0
scroll to top