नई दिल्ली। भारत में अब फेसबुक पर कमेंट करना अपराध नहीं होगा। बेंगलुरू के एक दंपत्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फेसबुक पर शिक ायत करना या टिप्पणी करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से धारा आई टी एक्ट 2000 की धारा 66ए की वैधानिकता पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है
दरअसल, दंपती माणिक तनेज और साक्षी जावा से 13 जून 2013 को दुर्घटना में एक व्यक्ति जख्मी हो गया था। थाने पहुंचने पर पुलिस अधिकारी ने उनसे दुर्व्यवहार कि या। शिकायत करते हुए दंपती ने टिप्पणी बेंगलूरू यातायात पुलिस के फेसबुक पेज पर डाल दी। नाराज हो अधिकारी ने दंपती के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। कर्नाटक हाईक ोर्ट ने रिपोर्ट खारिज नहीं की तो दंपती ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पुलिस ने फेसबुक का पेज आम जनता के लिए ही बनाया है। इस पर अपनी शिकायत दर्ज कराना किसी भी तरह से अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने दंपत्ति के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को भी निरस्त कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऎसे समय में आया है जबकि पहले से आईटी एक्ट 2000 के सेक्शन 66ए के मिसयूज पर बहस चल रही है। धारा 66ए के तहत ऑनलाइन सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी या पोस्ट करने पर संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार कर 3 वर्ष के लिए जेल भेजा जा सकता है।
पत्रिका से साभार