अनिल सिंह – शहीद कभी मरते नहीं,हिन्दुस्थान की सरजमीं पर शहीदों को देव-तुल्य दर्जा दिया गया है .
फीरोज भाई -ईद मुबारक ईद की छुट्टी मंजूर हो चुकी थी ,मन में उमंग थी की घर वालों के साथ त्यौहार मनाने का मौका मिलेगा,घर वाले ,रिश्तेदार फिरोज का इन्तेजार कर रहे थे उन पलों का आनंद ख़्वाब में उठा रहे थे जो वे फीरोज के साथ त्यौहार पर गुजारने वाले थे लेकिन विधि वहां सीमा पर अपने खेल में मशगूल थी भयानक किन्तु सम्मानजनक क्रूरता के लिए।परिवार के लिए,बच्चों के लिए खरीददारी हो चुकी थी,साथियों से पहले ही गले मिला जा चुका था,कुछ साथी जब भी आमने सामने होते ईद की बधाई और गले मिल लेते थे,वे फिरोज की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी देख और महसूस कर रहे थे लेकिन ………..सामने आ गया फीरोज की जगह भारतीय सेना का बहादुर लांसनायक फीरोज जिस जमीं का नमक खाया ,जिसकी गोद में खेल कर बड़े हुए उस माँ का पैगाम,पाकिस्तान ने हमला शुरू किया था,जांबाज उस पुकार को अनसुना न कर सका और छुट्टी निरस्त करता हुआ थाम ली बन्दूक हाथों में भीड़ गया अपने हमवतनों के साथ पकिस्तान से,लड़ते -लड़ते शहीद हो गया यह भारत माता का लाल अपनी शहादत से वो पूरी दुनिया को ईद पर ‘कुर्बानी’ का सही मतलब भी समझा गए। आप जहाँ भी हो, ………………………….. फीरोज भाई , ईद मुबारक
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