बरसाना। सतरंगी चूनर, हाथों में अबीर-गुलाल से भरी हडि़या। घूंघट की ओट से नैनन की मार, होली खेलने की मनुहार, ऐसे में कान्हा के सखा बरसाना में होली खेलने संबंधी राधा रानी की सखी के आमंत्रण को कैसे ठुकराते। हामी भर दी, बरसाना होली खेलन आएंगे, बरजोरी करेंगे। बस फिर क्या था, मारे खुशी, बरसाना वासी और राधा जी की सखियां पागल हो उठीं। यहां बुधवार को एक-दूसरे को लडडू खाने-खिलाने के दौर के साथ शुरू हो गई लडडुओं की होली।
लठामार होली की सहमति लेकर नंदगांव का पंडा सखी संग बरसाना पहुंचा तो खुशी में लड्डु और मिठाइयों की बरसात शुरू हो गई। बुधवार को बरसाना का श्रीजी मंदिर होली की मस्ती और राधा रानी का प्रसाद पाने के लिए चहकता-महकता रहा। मंदिर परिसर क्या, बाहर तक जमी हजारों की भीड़ बस राधा रानी की एक झलक पाने को मस्ती में झूमते-झूमते श्रीजी की हो ली। बरसाना के श्रीजी (लाड़ली जी) मंदिर में सुबह से ही होली के मतवाले भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया। अपराह्न तीन बजे तक तो मंदिर के सामने का आंगन और छत पूरी तरह भर गयी। साढ़े तीन बजते-बजते यहां नाच-गाना शुरू हो गया। पांच बजने से पहले गोस्वामी मुरारी ने लड्डुओं से श्रीजी का भोग लगाया और यह प्रसाद उपहार स्वरूप नंदगांव से आये पंडे को दे दिया। भोग के साथ ही मंदिर के पट भी खुल गये। पंडे ने परंपरागत तरीके से लड्डुओं के प्रसाद को हवा में उछालना शुरू कर दिया। फिर क्या था, राधा रानी की झलक पाने और प्रसाद के लड्डू को लूटने के लिए कोई उछलने लगा तो कोई झोली फैलाकर खड़ा हो गया।