बीजिंग, 26 मार्च (आईएएनएस)। प्राणघातक बीमारी इबोला के वायरस से लड़ने के लिए बनाया गया एक नया टीका पहले चरण के मानवीय प्रयोग में सुरक्षित पाया गया है।
‘द लांसेट’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और तियानजिन कैनसिनो बायोटेक्नोलॉजी द्वारा विकसित यह टीका इबोला मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
चीन के जियांग्सू प्रोविंसियल सेंटर फॉर डिजीज प्रीवेंशन एंड कंट्रोल के मुख्य शोधकर्ता फेंगसाई झू ने बताया, “परिणामों के आधार पर हमारा मानना है कि हमने जो टीका बनाया है उसमें कुछ संभावनाएं हैं।”
झू ने बताया, “इस तरह के टीके का एक महत्वपूर्ण फायदा यह है कि ये बहुत दिनों तक बने रहते हैं और उष्णकटिबंधीय देशों में इनका भंडारण और स्थानांतरण असान होता है।”
शोधकर्ताओं ने पिछले वर्ष कांगो और गिनी देशों में फैली इबोला महामारी के आधार पर नए इबोला टीके की सुरक्षा और प्रतिरक्षा पैदा करने की क्षमता का परीक्षण किया।
परीक्षण के लिए 120 स्वस्थ वयस्कों पर बिना किसी क्रम के चुनते हुए वास्तविक टीका और कुछ को उसकी जगह किसी अन्य टीके का इस्तेमाल किया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि टीकाकरण के 28 दिनों बाद जिन्हें वास्तविक टीका नहीं दिया गया उस समूह के 40 में से 38 प्रतिभागियों की अपेक्षा वास्तविक टीका लेने वाले सभी 40 प्रतिभागियों में सकारात्मक प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया पाई गई। ज्यादा खुराक लेने वाले समूह के लोगों ने एंटीबॉडी का निर्माण अपेक्षाकृत ज्यादा मात्रा में हुआ।
शोधकर्ताओं ने बताया कि शोध यह नहीं दर्शाता कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का यह स्तर आखिरकार इबोला वायरस से बचाव में कारगर होगा या नहीं।
झू ने कहा, “यह अभी अस्पष्ट है कि यह टीका अंत में इबोला महामारी से खिलाफ प्रयोग होगा।”
झू ने कहा कि इसके लिए नैदानिक प्रयोगों से और सबूत एकत्र करने की जरूरत है।