भोपाल : मंगलवार, अगस्त 27, 2019
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल ने कहा है कि बिगड़ते हुए प्राकृतिक संतुलन को संवारने के लिये जल, जंगल, जमीन का संरक्षण आवश्यक है। यह सामुदायिक भागीदारी से संभव है। उन्होंने यह बात म.प्र. जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान, क्लब ऑफ रोम इंटरनेशनल संस्था तथा राजीव गांधी फांउडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘री-जनरेटिंग नेचुरल कैपिटल लैण्ड, वाटर एण्ड फॉरेस्ट’ पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में कही।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि भारत सहित अन्य विकसित और विकासशील देशों में विकास की दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुंध दोहन किया गया है। इसका परिणाम है कि प्रकृति द्वारा नि:शुल्क प्रदत्त जल, जंगल, जमीन का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। उन्होंने कहा कि अगर अभी भी हम नहीं चेते तो परिणाम भयावह होंगे। इसके लिये समाज को भी आगे आना चाहिए।
जल, जंगल और जमीन एक-दूसरे के पर्याय
जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि जल, जंगल, जमीन तीनों एक-दूसरे के पर्याय हैं। पर्यावरण संतुलन के लिये तीनों में सांमजस्य जरूरी है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने भोपाल प्रवास के दौरान कहा था कि ‘भोपाल बहुत सुन्दर शहर है, इसे और सुन्दर बनाने की आवश्यकता है।’ भोपाल शहर के मध्य स्थित तालाब, पहाड़, जंगल प्राकृतिक सौन्दर्य को दो-गुना करता है।