न्यूयार्क, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। पृथ्वी पर 30 खरब से अधिक वृक्ष हैं। यानी प्रति व्यक्ति करीब 422 वृक्ष, लेकिन मानव सभ्यता के प्रारंभ होने से अब तक पेड़ों की कुल संख्या में 46 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यह खुलासा एक अध्ययन में हुआ है।
अध्ययन के मुख्य लेखक येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेस्ट्री एंड एनवॉयर्नमेंटल स्टडीज के शोधकर्ता वैज्ञानिक थॉमस क्रोथर ने कहा, “हमने पृथ्वी पर पेड़ों की संख्या को लगभग आधा कर दिया है और वातावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर उसका प्रभाव दिखाई देने लगा है।”
इस अध्ययन में बताया गया है कि यदि पूरी दुनिया में वनों का बचाना है तो हमें अभी कितनी मेहनत और करनी होगी।
वृक्षों की सर्वाधिक सघनता रूस, स्कैंडिनेविया और उत्तरी अमेरिका के आर्कटिक महासागर से लगे इलाके के बोरियल वनों में पाई जाती है। लेकिन सबसे अधिक वन क्षेत्र ऊष्णकटिबंध में हैं जहां पूरे विश्व के 43 प्रतिशत वृक्ष हैं।
क्रोथर ने कहा, “वृक्ष धरती के सर्वाधिक महत्वपूर्ण और संवेदनशील जीव हैं और हमने उनके वैश्विक विस्तार और प्रसार के बारे में हाल में समझना शुरू किया है।”
येल यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता टीम ने सैटेलाइट तस्वीरों, वन सूचियों और सुपर कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के प्रयोग से प्रति वर्ग किमी के आधार पर विश्वभर की वन आबादी को मापा। शोध के लिए क्रोथर ने दुनिया के 40,00,000 वन क्षेत्रों से वृक्ष सघनता की जानकारी एकत्रित की।
सैटेलाइट चित्रों की सहायता से वे जान पाए कि इन क्षेत्रों में वृक्षों की संख्या किस प्रकार वातावारण, भौगोलिक स्थिति, मिट्टी की प्रकृति और मानवीय प्रभावों से संबंधित है।
अध्ययन से तैयार नक्शा वैज्ञानिकों को विभिन्न क्षेत्रों में वन पारिस्थितिकी के बारे में जानकारी दे पाएगा।
मानवीय गतिविधियों का नकारात्मक असर प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर स्पष्ट दिखाई देता है। अध्ययन दर्शाता है कि ऐतिहासिक भूमि उपयोग के फैसलों ने किस प्रकार वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक पारिस्थतिकी को प्रभावित किया है।
अध्ययन वैश्विक युवा पहल ‘धरा के लिए वृक्ष’ की मांग से प्रेरित थी।