नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रकाशन विभाग के लिए एक नई कारोबारी नीति तैयार की है, जिसका उद्देश्य प्रकाशन उद्योग में प्रचलित समकालीन प्रवृत्तियों के अनुरूप कारोबारी प्रथाओं को सुव्यवस्थित करना है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस नीति की एक खास बात मुद्रित संस्करण की कीमत की 75 फीसदी दर पर प्रकाशन के डिजिटल संस्करण का मूल्य निर्धारित करते हुए ऑनलाइन रीडरशिप को बढ़ावा देना है। इससे पाठकों को 25 फीसदी छूट मिल सकेगा।
बयान के अनुसार, इस नीति के अंतर्गत प्रकाशन क्षेत्र में ई-कॉमर्स की बढ़ती संभावनाओं को स्वीकार किया गया है और यह नीति ऑनलाइन प्लेटफॉर्मो के जरिए इस प्रभाग की ई-पुस्तकों की बिक्री को बढ़ावा देती है। इस तरह के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मो के साथ विपणन संबंधी गठबंधन हो जाने से इसके प्रकाशनों की बेहतर पहुंच सुनिश्चित होगी।
बयान में कहा गया है कि प्रकाशनों को बेचने में दिलचस्पी दिखाने वाले राष्ट्रस्तरीय पुस्तक प्रकाशन संगठनों जैसे कि नेशनल बुक ट्रस्ट को एजेंट के लिए तय 45 फीसदी छूट (डिस्काउंट) दर के तहत कवर किया जाएगा।
बयान के अनुसार, नीति में एजेंटों के लिए ऋण सुविधा की इजाजत दी गई है जो उनकी बयाना राशि के अनुपात में होगी। ऋण 60 दिनों के लिए दिया जाएगा, जिसे उपयुक्त सावधि जमा के एवज में बढ़ाया जा सकता है। एजेंटों को विनिमय की सुविधा बिलिंग के 60 दिनों के भीतर दी जाएगी, जो किसी एक वर्ष में खरीदे गए प्रकाशनों के सकल मूल्य के 10 फीसदी तक के बराबर होगी।
यह नीति गत 31 दिसंबर, 2015 से ही प्रभावी हो चुकी है।