अयोध्या। धार्मिक नगरी अयोध्या में हर रोज़ हज़ारो लोग दर्शन और पूजन कर पुण्य कमाने आते है पुण्य सलिला सरयू में डूबकिया लगाकर अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते है और अपने को पवित्र करते है लेकिन इसी अयोध्या के सरयू तट के किनारे समाज का एक स्याह पहलु भी नज़र आता है जहां दर्जनों मासूम नाबालिग बच्चे पेट की आग बुझाने केलिए अपने बचपन की ख्वाहिशो का गला घोटने पर मजबूर है …पुण्य की नगरी अयोध्या के सरयू तट के किनारे कई दर्जन ऐसे मासूम बच्चे है जो जान जोखिम में डाल कर नदी से पैसे निकलने और नाव चलाने का काम करते है पूरे दिन नदी से सिक्के ढूढने की कोशिश जारी रहती है सिक्का निकालने में मशगूल 12 साल का प्रमोद कहता है की पूरे दिन की मेहनत के बद जब शाम को चंद सिक्के हाथो में आते है तो इन्ही सिक्को से शाम की रोटी का जुगाड़ हो पता है …वही सरयू की पवित्र धरा से सिक्के निकालने वाले तमाम बच्चे तो ऐसे है जिन्हें न तो स्कूल के बारे में पता है और ना ही कभी स्कूल गए है उनके लिए तो सरयू की लहरे ही उस किताब की तरह है जिसने उन्हें समाज में गरीबी के अभिशाप की कडवी सच्चाई से रूबरू कराया है
नदी में नाव चलाने और सिक्के निकालने का जोखिम भरा काम करने वाले ये मासूम अपनी मर्जी से ये काम नहीं करते बल्कि परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ये काम करने को मजबूर है …10 साल के बुध्धू राजा भी स्कूल जाना चाहते है पढ़ना चाहते है कुछ बनाना चाहते है लेकिन इनके माँ बाप के पास इतने पैसे नहीं की वो इन्हें स्कूल भेज सके और इसी मजबूरी के चलते ये मासूम अपना बचपन पेट की आग में जला रहे है ..
परिवार की मजबूरियों तले अपना बचपन खो रहे इन मासूम को नहीं पता की जिस पवित्र सरयू में एक डुबकी लगा लेने से लोगो के जन्म जन्मान्तर के पाप कट जाते है उसी सरयू में दिन भर डूबे रहने के बाद भी ऐसा कौन सा पाप उन्होंने किया है जिसके कारण उन्हें मुफलिसी और गरीबी की आग में अपना बचपन जलाना पड़ रहा है ..