नई दिल्ली- भारत में इजरायल के नवनियुक्त राजदूत नाओर गिलोन ने पेगासस स्पायवेयर संबंधी विवाद को भारत का ‘आंतरिक मामला’ बताते हुए बीते गुरुवार को कहा कि एनएसओ जैसी कंपनियां अपने उत्पाद गैर-सरकारी संस्थाओं, संगठनों या व्यक्तियों को नहीं बेच सकतीं.
गिलोन से इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर ‘पेगासस’ का उपयोग अनधिकृत रूप से निगरानी रखने के लिए किए जाने के आरोपों को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया गया. उनसे यह भी पूछा गया कि क्या इस मामले पर भारत सरकार ने इजरायल से संपर्क किया. इन सवालों के जवाब में गिलोन ने यह टिप्पणियां कीं.
गिलोन का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दो दिन पहले बीते बुधवार (27 अक्टूबर) को उच्चतम न्यायालय ने एनएसओ के स्पायवेयर पेगासस के जरिये पत्रकारों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं समेत भारतीय नागरिकों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की अगुवाई में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था और कहा था कि सरकार हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देकर बच नहीं सकती है.
इजरायली दूत ने कहा कि पेगासस को लेकर भारत में जो कुछ भी हो रहा है, वह उसका आंतरिक मामला है. उन्होंने कहा, ‘मैं और विस्तार से बात नहीं करूंगा. (एनएसओ ग्रुप) एक निजी इजरायली कंपनी है.’
उन्होंने कहा, ‘एनएसओ या ऐसी कंपनियों को हर निर्यात के लिए इजरायली सरकार से निर्यात लाइसेंस की आवश्यकता होती है. हम केवल सरकारों को निर्यात करने के लिए निर्यात लाइसेंस देते हैं.’
इजरायली राजदूत ने आगे कहा, ‘केवल यही मुख्य अनिवार्यता है कि वे इसे गैर-सरकारी तत्वों को नहीं बेच सकते. भारत में जो हो रहा है, वह उसका आंतरिक मामला है और आपके आंतरिक मामलों में नहीं जाना चाहूंगा.’
मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यह बताने से इनकार कर दिया कि क्या उसने पेगासस को खरीदा है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की स्थापना करते हुए इस तर्क को यह देखते हुए खारिज कर दिया कि राज्य को हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा उठने पर ‘मुफ्त पास’ नहीं मिल सकता है.
इजरायली फर्म (एनएसओ ग्रुप) ने भी इस बात से इनकार किया है कि पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा एक्सेस किए गए रिकॉर्ड का पेगासस के माध्यम से निगरानी से कोई लेना-देना नहीं है.