मास्को, 5 जनवरी (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने एक नई खोज में पृथ्वी के समान ही लेकिन पृथ्वी से कई गुना बड़े ग्रहों (सुपर-अर्थ) पर ऐसे ‘निषिद्ध’ पदार्थो की खोज कर ली है, जो ग्रह पर जीवन के अनुकूल वातावरण का निर्माण करते हैं।
इस अध्ययन के अनुसार, निषिद्ध पदार्थो के द्वारा पृथ्वी से मिलते-जुलते ग्रहों में ऊष्मा का स्थानांतरण तेज होता है और शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है।
सुपर ग्रहों की सतह ठोस होती है और द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक होता है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इन्हें ‘सुपर अर्थ’ नाम दिया है।
मास्को इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी (एमआईपीआईटी) के वैज्ञानिकों ने गणितीय मॉडल का उपयोग कर सुपर अर्थ के कोर में कुछ ऐसे यौैगिकों की खोज की है, जिनका रसायन विज्ञान के शास्त्रीय नियमों के अनुसार निर्माण संभव ही नहीं है।
एमआईपीआईटी के मुख्य वैज्ञानिक अर्टिम गैनोव के अनुसार, “हम कह सकते हैं कि मैग्नीशियम, ऑक्सीजन और सिलिकन ने पृथ्वी और पृथ्वी समान ग्रहों पर रसायन शास्त्र का आधार रखा है।”
यह ‘मैग्नीशियम-सिलिकन-ऑक्सीजन तंत्र’ पृथ्वी और चट्टानों के बनने के लिए महत्वपूर्ण तंत्र है।
शोधकर्ताओं ने उच्च दबाव पर सिलिकन, ऑक्सीजन और मैग्नीशियम द्वारा गठित यौगिकों की निर्माण प्रक्रिया का पता लगाने का प्रयास किया। वैज्ञानिक यह देखना चाहते थे कि उच्च दबाव में इन तीनों तत्वों से मिलकर कौन-कौन से यौगिक बनते हैं।
शोधकर्ताओं ने इसके लिए बिल्कुल नवीन विधि का प्रयोग किया और पांच से तीस लाख वायुमंडल दबाव पर ‘मैग्नीशियम-सिलिकन-ऑक्सीजन तंत्र’ के विभिन्न संरचनात्मक रचनाओं की जांच की।
इस तरह का दबाव ‘ग्लीस 832सी’ जैसे सुपर अर्थ पर पाया गया है जो पृथ्वी से पांच गुना अधिक वजनी है। इसके अलावा मेगा अर्थ ‘केप्लर-10 सी’ जिसका वजन पृथ्वी से 17 गुना अधिक है पर भी यह दबाव मौजूद था।
यह निष्कर्ष बताते हैं कि इन ग्रहों में अनोखे और विशिष्ट यौगिक मौजूद हैं। इनके पास ऑक्सीजन के अत्यधिक परमाणु हैं। इन अनोखे और विशिष्ट यौगिकों के गुण सामान्य मैग्नीशियम, सिलिकन और ऑक्सीजन के यौगिकों से काफी अलग हैं।
गैनोव के अनुसार, “इनमें कई धातु और अर्धचालक हैं, जो ग्रहों पर अधिक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।”
अधिक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र ब्रह्मांडीय विकिरण से सुरक्षा कवच का काम करता है, जिसके फलस्वरूप इन ग्रहों पर जीवन के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण होता है।
यह शोध पत्रिका ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित किया गया है।