नई दिल्ली। सरकार ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सरकारी आवास को अपने कब्जे में रखने वाले पूर्व मंत्रियों और पूर्व सांसदों से मकान खाली कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
शहरी विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकारी आवास खाली कराने का नोटिस करीब 20 पूर्व मंत्रियों और 120 पूर्व सांसदों को दिया गया है और उन्हें स्पष्ट किया गया है कि वे मकान खाली कर दें। यह पहल तब की गई, जब पिछले शुक्रवार को शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने इस संबंध में प्रक्रिया शुरू करने को हरी झंडी दे दी।
कानून के तहत सरकार ने केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद पूर्व मंत्रियों और पूर्व सांसदों को 26 जून तक आवास में बने रहने की अनुमति दी थी, जिसे कई मंत्रियों एवं सांसदों के आग्रह पर बाद में बढ़ाकर 26 जुलाई तक कर दिया गया था। नायडू ने अब समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों ने बताया कि संपदा निदेशालय की ओर से नोटिस दिए जाने के एक सप्ताह के भीतर उन बंगलों और फ्लैटों को खाली कराने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे, जिन पर पर पूर्व मंत्रियों और पूर्व सांसदों का कब्जा है।
ऐसे पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद जो चुनाव हार गए हैं, वे सरकारी आवासों में बने रहने के पात्र नहीं हैं और उन्हें इसे खाली करना होगा। जो पूर्व मंत्री राज्यसभा के सदस्य रहे थे, उन्हें वर्तमान पते से दूसरे आवास में जाना होगा।
पूर्व मंत्री चिरंजीवी को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के लिए मकान खाली करना है, वहीं राज्यसभा सदस्य एके एंटनी और राजीव शुक्ला को टाइप 8 बंगला से दूसरे आवास में जाना होगा। सू़त्रों ने बताया कि इन्हें नए आवास में जाना होगा, जो राज्यसभा सचिवालय की ओर से आवंटित किया जाएगा।
कई मंत्री और नवनिर्वाचित सांसद राज्यों के भवनों और अशोक होटल में रुके हुए हैं और लुटियन क्षेत्र में मकान आवंटन का इंतजार कर रहे हैं। लालू प्रसाद के लिए समयसीमा को इस वर्ष अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया, जबकि दिवंगत सीसराम ओला के परिवार को अगले वर्ष तक रुकने की अनुमति दी गई है।