नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने इस विश्वविद्यालय को संकट की स्थिति में पहुंचाने के लिए इसके कुलपति एम. जगदीश कुमार की तीव्र आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पुलिस को परिसर के अंदर आने की इजाजत देना दुर्भाग्य था।
इसी विश्वविद्यालय से पढ़े और सेवानिवृत्त हुए प्रोफेसर चमन लान ने कुलपति कुमार को लिखे एक पत्र में कहा है, “आपके जेएनयू के कुलपति का प्रभार लेने के दो हफ्ते के अंदर एक कार्यक्रम को लेकर विश्वविद्यालय एक अभूतपूर्व संकट में फंस गया। जेएनयू या किसी अन्य विश्वविद्यालय में ऐसे कार्यक्रम बहुत असामान्य नहीं होते।”
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के छात्र आजाद ख्याल वाले विश्वविद्यालयों में अपने लोकतांत्रिक एवं नागरिक अधिकारों के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं और सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी चिंता का इजहार करते हैं।
प्रोफेसर लाल ने कहा कि सबसे अच्छा उदाहरण अमेरिका है, जहां वियतनाम में अमेरिकी कार्रवाई के दौरान या अभी हाल में खाड़ी के देशों में लोकतंत्र निर्यात करने की अमेरिकी नीति जो अरब जगत या कहीं भी तबाही का कारण बना, उस पर छात्रों ने सरकार के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया था। लेकिन उनमें से कोई भी गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही उन पर राजद्रोह का आरोप लगा। उन्हें राष्ट्र-विरोधी भी नहीं करार दिया गया जैसा कि जेएनयू में हुआ।
प्रोफेसर लाल ने कुलपति पर छात्रों और विश्वविद्याल के अधिकारों की रक्षा करने में असफल रहने का भी आरोप लगाया। उनके अनुसार, कुमार इस पद के उपयुक्त नहीं हैं।
चमन लाल ने जी न्यूज के विश्वदीपक के पत्र का भी हवाला दिया है, जिसने कारण बताते हुए चैनल से इस्तीफा दे दिया है। उसने उल्लेख किया कि किस तरह टीवी चैनल ने साजिशपूर्वक कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में फंसाया और एक खास एजेंडे के तहत एक योजनाबद्ध ढंग से जेएनयू पर खबरें तैयार कीं।