नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। पूर्वी सीमा पर भारत की कार्रवाई से आतंकवादियों को सख्त संदेश जाएगा। केंद्र सराकर ने बुधवार को यह बात कही। वहीं रक्षा मंत्रालय ने इस कार्रवाई में आतंकवादियों का पीछा करने की बात को खारिज किया।
सवाल उठाए गए थे कि क्या भारत अपने पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान के साथ भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाएगा, जिस पर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है।
भारतीय सेना द्वारा मंगलवार को किए गए इस ऑपरेशन में भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित शिविरों पर दो हमले किए गए।
इस अभियान को भारतीय सेना का अब तक का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है। इस हमले में कई आतंकवादियों की मौत हो गई, जबकि भारतीय सेना का कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ।
रक्षा मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस अभियान में आतंकवादियों का ‘पीछा’ करने की बात को खारिज कर दिया। वहीं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह कार्रवाई सभी आतंकवादियों को संदेश थी।
राव इंद्रजीत ने यहां कहा, “हम पीछा नहीं करते। हमने वर्मा (म्यांमार) में अधिकारियों से हमले के पहले संपर्क किया था।”
मुंबई में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “म्यांमार की सरकार के साथ आतंकवादियों के खिलाफ सेना की कार्रवाई आतंकवाद से लड़ने के भारत के संकल्पों को बयान करती है। यह उन सभी आतंकवादी समूहों को संदेश है कि भारत आतंकवाद का खात्मा करने के लिए अपनी सीमा के पार जाने में जरा भी संकोच नहीं करेगा।”
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने इस कार्रवाई को एक उपयुक्त जवाब करार दिया।
रिजिजू ने कहा, “म्यांमार में आतंकवादियों के ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई मणिपुर में सेना के जवानों पर घात लगाकर हमला करने की वारदात का उपयुक्त जवाब है।”
उन्होंने कहा, “हमें सेना के काम को सलाम करना चाहिए.. जब देशहित में कुछ भी किया जाता है तो, हमें इसका समर्थन करना चाहिए और इस पर विस्तार से बातचीत नहीं करनी चाहिए।”
इसी बीच पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार खान ने कहा कि भारत को पाकिस्तान को म्यांमार समझने की गलती नहीं करनी चाहिए।
निसार ने कहा, “पाकिस्तान की सेना किसी भी ‘दुस्साहस’ का जवाब देने में सक्षम है।”
सेना के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि खुफिया रपटों के आधार पर भविष्य में इस तरह के कई अन्य सैन्य अभियानों को अंजाम दिया जा सकता है।
मीडिया से बातचीत करने के लिए अधिकृत न होने के कारण अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “अगर खतरे (4 जून की तरह होने वाले हमले) की कोई खुफिया जानकारी होती है तो इस तरह के और हमले अंजाम दिए जा सकते हैं। सुरक्षा बल इस तरह के अभियानों के लिए हमेशा तैयार हैं।”
उल्लेखनीय है कि चार जून को मणिपुर के चंदेल में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे।
उच्च पदस्थ अधिकारियों से जब पूछा गया कि क्या भारत की यही सोच पश्चिमी सीमा को लेकर रखता है तो उन्होंने कहा कि दोनों ओर स्थित अलग-अलग है।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.पी. मलिक ने कहा कि भारत के पास क्षमता है। लेकिन पश्चिमी सीमा पर इस तरह के अभियान पाकिस्तान के साथ छोटे स्तर के युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर सकते हैं।
जनरल मलिक ने कहा, “हमारे पास क्षमताएं हैं, लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि हम इस तरह की प्रतिक्रिया दें। इससे सीमित युद्ध छिड़ सकता है।”
सूत्रों के मुताबिक, पैरासूट रेजीमेंट के 21 पैरा (एसएफ) के सैनिकों ने मंगलवार को यह हमला किया। इस हमले में सुरक्षा बलों को कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि आतंकवादियों को भारी क्षति पहुंची।
सेना ने यद्यपि हमले में मारे गए आतंकवादियों की आधिकारिक संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन इनकी संख्या 15 से 25 के बीच में होने का अनुमान है।
सूत्रों ने कहा कि जिन शिविरों पर हमला किया गया वे म्यांमार सीमा के अंदर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित थे। हालांकि उन्होंने जगह का नाम लेने से इंकार कर दिया।