भुवनेश्वर, 23 जून – ओडिशा के पुरी में भक्तों की अनुपस्थिति में पहली बार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक रथ यात्रा मंगलवार को शुरू हुई।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनता की उपस्थिति के बिना सीमित तरीके से इसे आयोजित करने के निर्देश के बाद वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गई।
पुजारियों ने भोर में ‘मंगल आरती’ का आयोजन किया।
शंखनाद की ध्वनि, झांझ और ढोलक की थाप के साथ मंदिरों से देवताओं को रथ पर बिठाकर यात्रा की शुरुआत की गई।
तीनों देवताओं को तीन पारंपरिक तौर पर बने लकड़ी के रथ – नंदीघोसा (जगन्नाथ के लिए), तलाध्वजा (बलभद्र के लिए) और देवदलन (सुभद्रा के लिए) पर बिठा कर ले जाया गया।
रथों को पुरी के गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाएगा, जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
इस साल 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्हें कोविड -19 टेस्ट कराने के बाद नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही अनुमति दी जाएगी। इनमें मंदिर के सेवक और पुलिसकर्मी शामिल होंगे।
पुरी के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बलवंत सिंह ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए सभी सहयोग कर रहे हैं। मैं सभी भक्तों से अनुरोध करता हूं कि वे घर पर रहें और त्योहार का सीधा प्रसारण देखें।”