जम्मू, 8 मार्च (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को पीडीपी-भाजपा गठबंधन को बनाए रखने के लिए एक परिपक्व राजनेता के तौर पर काम करने की दरकार है। एक तरफ जहां उन्हें शांति और विकास का वादा निभाने की पहल करनी है वहीं गठबंधन सरकार को बचाने लिए संतुलन भी आवश्यक है। हालांकि वह ‘राजनीतिक कैदियों’ की रिहाई के आदेश से विवादों में घिर आए हैं।
जम्मू, 8 मार्च (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को पीडीपी-भाजपा गठबंधन को बनाए रखने के लिए एक परिपक्व राजनेता के तौर पर काम करने की दरकार है। एक तरफ जहां उन्हें शांति और विकास का वादा निभाने की पहल करनी है वहीं गठबंधन सरकार को बचाने लिए संतुलन भी आवश्यक है। हालांकि वह ‘राजनीतिक कैदियों’ की रिहाई के आदेश से विवादों में घिर आए हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में बीते रविवार को शपथ लेने के बाद जम्मू एवं कश्मीर की शरदकालीन राजधानी जम्मू में पहले मीडिया कान्फ्रेंस में मुफ्ती सईद की टिप्पणी पर संसद में हंगामा हुआ था। 79 वर्षीय कश्मीरी नेता मुफ्ती सईद ने राज्य विधानसभा चुनाव के सही तरीके संपन्न होने के लिए पाकिस्तान, अलगाववादी हुर्रियत और आतंकवादियों को श्रेय दिया था।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को लोकसभा में सईद के बयान का खंडन करना पड़ा। राजनाथ सिंह ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव की सफलता का श्रेय देश के चुनाव आयोग, सेना, अर्धसैनिक बलों और सबसे ज्यादा राज्य की जनता को जाता है।
सईद की बेटी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता के बयान का बचाव करते हुए कहा कि सईद अपने धुर विरोधी नेशनल कान्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला के जैसे नहीं हैं। फारूक अपने कहे से मुकरने के उस्ताद हैं।
सईद ने पृथकतावादियों और आतंकवादियों पर दिए गए अपने बयान का अनुकरण करते हुए राजनीतिक बंदियों को छोड़ने का आदेश दिया।
राज्य के पुलिस प्रमुख के. राजेंद्र कुमार ने पुष्टि की कि रिहाई शीघ्र शुरू होगी।
राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश देने के जरिए स्पष्ट रूप से सईद अपने घाटी केंद्रित राजनीतिक क्षेत्र को एकजुट रखने और यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भाजपा के साथ गठबंधन लोगों के विश्वास से कहीं आगे घाटी अनुकूल है।
भाजपा ने पीडीपी की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें मसरत आलम और मुश्ताक-उल-इस्लाम को राजनीतिक कैदी कहा गया है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “ये लोग राजनीतिक कैदी नहीं हैं। इन्होंने अपराध किया है और इनके साथ कानून के मुताबिक ही सलूक किया जाना चाहिए। हम इस रिहाई को किसी कीमत पर अनुमति नहीं देंगे।”
2010 में घाटी में हिंसा के दौरान आतंकवादी संगठन के सरगना मसरत आलम को गिरफ्तार किया गया था। राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने उसे 2010 की हिंसा में हजारों युवकों को उकसाने का आरोपी बनाया है। 2010 में छह माह तक चली हिंसा में 112 युवकों की जान चली गई थी।