नई दिल्ली/कराची, 2 जुलाई (आईएएनएस)। पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी में काम करने वाले एक दलित हिंदू संवाददाता ने कहा कि अपने मुस्लिम ‘बॉस’ से भेदभाव झेलने के बाद वह अवसाद में चला गया है।
नई दिल्ली/कराची, 2 जुलाई (आईएएनएस)। पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी में काम करने वाले एक दलित हिंदू संवाददाता ने कहा कि अपने मुस्लिम ‘बॉस’ से भेदभाव झेलने के बाद वह अवसाद में चला गया है।
पाकिस्तान की समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तिान (एपीपी) में काम करने वाले साहिब खान ओअद ने कराची से अपना कटु अनुभव आईएएनएस से साझा करते हुए कहा कि उनकी यातना तब शुरू हुई, जब गत मई महीने में उनके ब्यूरो प्रमुख और सहयोगियों को पता चला कि वह मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू हैं, और उसमें भी दलित हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी धार्मिक पहचान उजागर होने के बाद उनके कार्यालय में स्थिति काफी बदल गई। ओअद ने आरोप लगाया कि उनके ब्यूरो प्रमुख परवेज असलम ने उनसे कार्यालय में भोजन करने के लिए अलग बर्तन का इस्तेमाल करने को कहा।
अवसाद से पीड़ित होने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर ओअद अब अनिश्चितकालीन छुट्टी पर चले गए हैं। उन्होंने उर्दू में फोन पर आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए कहा, “मैं खान हूं, लेकिन मुस्लिम नहीं हूं।”
ओअद ने कहा कि बयान वापस लेने के लिए अब उनके ‘बॉस’ उन पर दबाव डाल रहे हैं।
पीड़ित पत्रकार ने कहा, “वह चाहते हैं कि मैं कहूं कि मीडिया प्रसारित हो रही सभी खबरें झूठी हैं।” उन्होंने आगे कहा कि असलम ने उन्हें यह कहते हुए धमकी दी, “अगर तुम कठोर कदम उठा सकते तो वैसा हम भी उठा सकते हैं।”
उधर, एपीपी के ब्यूरो प्रमुख असलम ने उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को भ्रमित करने वाला और आधारहीन बताया। उन्होंने कहा कि धर्म को छोड़ दीजिए, अल्पसंख्यक सदस्यों के साथ किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होता।
असलम ने इनकार किया कि उपनाम के कारण पहले ओअद को मुस्लिम समझने की भूल की गई थी। दरअसल ओअड के सभी साथी यह जानते थे कि वह हिंदू हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर उनके साथ भेदभाव नहीं किया गया।
ओअद के अनुसार, उनके हिंदू होने का भेद तब खुला, जब उन्होंने गत 29 मई को अपने पुत्रों में से एक राजकुमार को अपने साथियों से परिचय कराया। वे हैरान हो गए और उनसे पूछा कि क्या वह हिंदू हैं?
लेकिन ओअद ने स्पष्ट किया कि कराची स्थित एपीपी के कार्यालय में उनके अन्य मुस्लिम साथियों को उनसे कोई शिकायत नहीं है।
हालांकि कराची की बड़ी पत्रकार बिरादरी ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया है, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ‘बॉस’ उन्हें समायोजित (एडजस्ट) करने के पक्ष में नहीं हैं।
खान उपनाम रखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में नियमित भेदभाव से बचने के लिए सिंध प्रांत के दादू जिले में वह और कई हिंदू दलित अपना उपनाम खान रखते हैं।
पाकिस्तान के तीन लाख हिंदुओं में अधिकांश सिंध प्रांत में ही रहते हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को हमेशा मुस्लिम आतंकियों से खतरा बना रहता है जो हिंदू महिलाओं का अपहरण करने के लिए जाने जाते हैं।
ओअद इस्लामाबाद से इस साल स्थानांतरित होकर आए थे। उन्होंने कहा कि पत्रकार के रूप में पांच साल में पहली बार उन्हें भेदभाव झेलना पड़ा है।
पाकिस्तान का राष्ट्रीय मीडिया तीन बच्चों के पिता इस हिंदू पत्रकार के समर्थन में उतर आया है। सिंध प्रांत की संस्कृति मंत्री शर्मिला फारूकी ने उन्हें हर संभव सहायता देने और मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया।