कोलकाता, 14 जून (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में जारी हड़ताल के बीच चार मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने शुक्रवार को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक और पदेन सचिव को भेजे पत्र के जरिए 70 डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे सौंपे।
सूत्रों के अनुसार, इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
पत्र में चिकित्सकों ने लिखा, “आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के हम निम्नलिखित डॉक्टर अब तक अस्पताल सेवा को सुचारु रूप से चलाने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। आप जानते हैं कि वर्तमान स्थिति रोगी देखभाल सेवा के लिए आदर्श नहीं है।”
डॉक्टरों ने लिखा, “मौजूदा स्थिति के कारण हम सेवा प्रदान करने में असमर्थ हैं। ऐसे में हम डॉक्टर इस्तीफा देना चाहेंगे।”
एक आधिकारिक खुलासा किया कि इसके अलावा, विरोध का केंद्र रहा एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लगभग 100 डॉक्टर भी इस्तीफे की बात कर रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक को लिखे गए एक ऐसे ही दूसरे पत्र में, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सक विभाग के 17 डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफे की बात कही। उन्होंने भी इसी कारण का हवाला दिया कि वे वर्तमान स्थिति में सेवाएं देने में असमर्थ हैं।
सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भी इसी तरह की तस्वीर देखी गई।
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सहायक अधीक्षक सुदीप्त मंडल ने कहा, “पहले से ही 15 वरिष्ठ डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा निदेशक को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और यह आंकड़ा बढ़ सकता है। जूनियर डॉक्टरों के बिना सामान्य रूप से सेवाओं को चलाना संभव नहीं है।”
उन्होंने कहा कि राज्य के अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की कामबंदी अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुकी है।
सोमवार देर रात एक 75 वर्षीय मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा कथित रूप से एक जूनियर डॉक्टर की पिटाई के बाद मंगलवार सुबह राजकीय एनआरएस अस्पताल में विरोध शुरू हो गया।
मृतक मरीज के परिजनों ने चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया था।
परिबहा मुखर्जी नाम के एक इंटर्न पर हुए हमले में उसके सिर पर गंभीर चोट आई है और उसे तंत्रिका विज्ञान संस्थान की गहन देखभाल इकाई में भर्ती कराया गया।
स्थिति में सुधार के बाद मुखर्जी को सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।