बेंगलुरू, 9 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने शुक्रवार को बेंगलुरू में राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान एवं रोग सूचना संस्थान (एनआईवीईडीआई) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से अनुरोध किया कि देसी नस्लों में सुधार लाने के लिए मुख्य कार्यक्रम चलाएं, क्योंकि स्वदेशी मवेशियों से प्राप्त होने वाले उत्पादों का मानव के स्वास्थ्य में बहुत योगदान है। उन्होंने कहा कि अनुभवजन्य साक्ष्य यह दशार्ते हैं कि मवेशियों की हमारी देसी नस्लों में विदेशी और संकर नस्लों की तुलना में बीमारियों की अपेक्षाकृत कम संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि उत्पादन और उत्पादक के रूप में देसी मवेशियों में सुधार के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि सबसे अच्छी स्वदेशी नस्लें जैसे- गिर, थारपारकर, राठी, साहीवाल में गर्मी सहने, विभिन्न प्रकार का चारे खाने की क्षमता और रोग-प्रतिरोध की बेहतर क्षमता होती है।
सिंह ने कहा कि संस्थान की देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 32 एआईसीआरपी केंद्रों की स्थापना करके इसकी अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ाने के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में इस संस्थान का नाम राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान एवं रोग सूचना संस्थान (एनआईवीईडीआई) रखा गया।
उन्होंने उल्लेख किया कि एनआईवीईडीआई के वैज्ञानिकों को पशु उत्पादन को अधिकतम बनाने और जोखिम विश्लेषण आंकड़ो और सटीक निदान का उपयोग करते हुए पशुओं और उनके उत्पादों से फैलने वाली बीमारियों से मनुष्यों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए पशुओं में बीमारियों की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन करने की अपनी भूमिका को जारी रखना है।
उन्होंने संस्थान से स्वदेशी नस्लों को बीमारी रोधक बनाने के पहलुओं पर अनुसंधान और अध्ययन करने के लिए कहा।
सिंह ने विशेष प्रयोगशालाओं (मानव संसाधन विकास) प्रौद्योगिकी सृजन और प्रसार के रूप में पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के अग्रणी क्षेत्रों में उत्कृष्टता विकास के लिए एनआईवीईडीआई को बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए और स्थाई पशुधन उत्पादन प्रणालियां के लिए पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका है। एनआईवीईडीआई को इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को बेंगलुरू में विश्वस्तरीय एनआईवीईडीआई की स्थापना के लिए बधाई दी और कहा कि निदान के क्षेत्र में विकास के अलावा बेहतर विकास और तकनीक को अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए निजी एवं सरकारी क्षेत्र के बीच में अनुसंधान संबंधी सहभागिता आवश्यक है।
अत: निजी सार्वजनिक सहभागिता आधार पर इनकी गतिविधियों को पूरक रूप देने के लिए इन दोनों क्षेत्रों को आपस में जोड़े जाने की आवश्यकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह संस्थान नये अवसरों का इस्तेमाल करते हुए अनुसंधान एवं विकास तथा अन्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को एक नई दिशा देगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा, “कसी राष्ट्र की महानता का निर्धारण इस बात से किया जा सकता है कि वहां जानवरों के साथ किस प्रकार का बर्ताव होता है।”
उन्होंने जानवरों के लिए गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के मद्देनजर सभी से मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।