मास्को, 5 जनवरी (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने ऊर्जा प्रदान करने वाली विशेष प्रकार की बैटरियों ‘फ्यूल सेल’ को पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए बगैर निर्माण की नई विधि खोज ली है। वैज्ञानिकों के इस दल में रूस, फ्रांस और जर्मनी के वैज्ञानिक शामिल थे।
‘फ्यूल सेल’ ऐसी बैटरियां होती हैं जो रासायनिक प्रतिक्रिया को विद्युत में परिवर्तित कर देती हैं।
यह बैटरी की तरह ही काम करता है, लेकिन इन्हें चार्ज करने की जरूरत नहीं होती। यह परिवहन, आपातकालीन बैकअप और कई ऊर्जा क्षेत्रों में प्रयोग की जाती हैं।
वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई इस नई विधि का नाम ‘आयन-एक्सचेंज सिंथेटिक मेम्ब्रेंस’ रखा गया है। इस विधि का उपयोग फ्यूल सेल के निर्माण के अलावा पृथक्करण और शोधन की अन्य प्रक्रियाओं में भी किया जा सकता है।
मास्को के इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी (एमआईपीटी) के वैज्ञानिकों के अनुसार।
पारंपरिक इंजन की तुलना में फ्यूल सेल के कम से कम दो फायदे हैं। पहला फायदा यह है इनसे कम मात्रा में हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती हैं, जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड। और दूसरा फायदा यह है कि फ्यूल सेल की कार्यक्षमता बहुत ज्यादा होती है।
मुख्य शोधकर्ता के अनुसार, “अनेक प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में पारंपिक बैटरियों की अपेक्षा फ्यूल सेल का इस्तेमाल कहीं बेहतर साबित हो सकता है।”
वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के बढ़ते तापमान (ग्लोबन वार्मिग) की समस्या का फ्यूल सेल खुद तो समाधान नहीं हो सकता।
वैज्ञानिकों ने कहा, “लेकिन वे इस समस्या के समाधान का हिस्सा हो सकते हैं।”
अध्ययन का निष्कर्ष पत्रिका ‘फिजिकल केमिस्ट्री, केमिकल फिजिक्स’ में प्रकाशित किया गया है।