कोलकाता/नई दिल्ली/चंडीगढ़/तिरुवनंतपुरम, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। यातायात नियमों के उल्लंघन पर सजा सख्त करने के प्रावधान वाले प्रस्तावित ‘सड़क परिवहन एवं सुरक्षा विधेयक-2014’ के विरोध में गुरुवार को परिवहन संचालकों के देशव्यापी हड़ताल से देश भर में लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
बसों और टैक्सियों की हड़ताल से बड़ी संख्या में रेलवे स्टेशनों पर यात्री फंसे रहे तथा लोगों को कार्यालय जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
देशभर के मजदूर संघ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर कामगार विरोधी नीति बनाने का आरोप लगाते हुए इस प्रस्तावित विधेयक को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं।
नए विधेयक में लापरवाही से गाड़ी चलाने पर 50 हजार रुपये, शराब पीकर वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये और अत्यधिक तेज चलाने पर 6,000 रुपये के चालान का प्रावधान है। इसे मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए रखा जाना है।
विधेयक में एक नियामक प्राधिकरण गठित किए जाने का भी प्रावधान है।
परिवहन संचालकों का कहना है कि विधेयक में विभिन्न उल्लंघनों के लिए निर्धारित किया गया जुर्माना काफी अधिक है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हालांकि इसे वाजिब बताते हुए कहा है कि अगले पांच साल में सालाना दुर्घटनाओं की संख्या घटाकर दो लाख तक लाने के लिए यह जरूरी है। सालाना दुर्घटनाओं की संख्या अभी 4.90 लाख है और इसमें से 25 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं गंभीर प्रकृति की होती हैं।
हड़ताल का दिल्ली में आंशिक असर रहा। सड़क पर कम ऑटो और टैक्सियां उतरीं। कम बस चल रही थी, जो ठसाठस भरी हुई थी।
हरियाणा में सरकारी बस सेवा पूरी तरह चरमरा गई। निजी बस चालकों ने भी अपनी बसें संचालित नहीं की।
ऑटो-रिक्शा और रिक्शा चालक यात्रियों की मुश्किलों का फायदा उठा कर ज्यादा किराया वसूला।
पश्चिम बंगाल में कोलकाता सहित पूरे राज्य में अधिकांश सड़कें लगभग सूनी पड़ी रहीं।
हावड़ा एवं सियालदह रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को तथा कार्यालय जाने वाले लोगों को टैक्सी या बस के अभाव में भारी मुसीबत झेलनी पड़ी।
कोलकाता और हावड़ा के कई हिस्सों से बसों में तोड़-फोड़ की खबरें भी मिली हैं।
गुरुवार को सभी निजी स्कूल बंद रहे, जबकि सरकारी स्कूलों में मामूली उपस्थिति दर्ज की गई, क्योंकि अधिकांश परिजनों ने अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा।
त्रिपुरा में भी बंद के कारण सार्वजनिक परिवहन बुरी तरह प्रभावित रहा। परिवहन कार्यकर्ताओं ने पूरे त्रिपुरा में रैलियां निकालीं।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) की कार्य समिति के सदस्य तापस दत्ता ने आईएएनएस को बताया, “हड़ताल का व्यापक असर हुआ है। राज्य में कहीं भी अप्रिय घटना घटित नहीं हुई।”
हिमाचल प्रदेश में हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। निगम के पास 2,200 बसें हैं। राज्य में कई निजी बसें हालांकि चलती रहीं।
केरल में सैकड़ों लोग बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों और हवाईअड्डे पर काफी देर तक फंसे रहे।
हैदराबाद में हड़ताल का आंशिक असर रहा। सड़क परिवहन निगम के प्रमुख कर्मचारी संघों ने हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया, जिसके कारण आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों ही राज्यों में सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रभावित नहीं हुई।
ऑटो चालकों के कुछ संघों ने विधेयक में श्रमिक विरोधी प्रावधानों का आरोप लगाते हुए एक रैली का आयोजन किया।
देशव्यापी हड़ताल से तमिलनाडु में जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ। राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र की बस सेवा प्रभावित नहीं हुई, लेकिन कुछ निजी बसें और ऑटो रिक्शा सड़प पर नहीं उतरे।