नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम के-4 मिसाइल का बुधवार को अरिहंत पनडुब्बी से लांच कर परीक्षण किया गया। के-4 मिसाइल और अरिहंत पनडुब्बी दोनों को स्वदेश में ही विकसित किया गया है।
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश (सेवानिवृत्त) ने इसे एक बड़ा कदम करार दिया है। लेकिन उनके मुताबिक अरिहंत को अंतर प्राद्वीपीय मिसाइल से लैस करने की जरूरत है। इन मिसाइलों की रेंज 5,000 किलोमीटर से ज्यादा होती है।
के-4 का रेंज 3,500 किलोमीटर है। इस परीक्षण को पिछले महीने गुप्त रूप से किया गया और रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आधिकारिक रूप से इस बारे में किसी टिप्पणी से इनकार किया है।
इसके बारे में एडमिरल अरुण प्रकाश ने आईएएनएस को बताया, “अरिहंत का पूर्ण इस्तेमाल करने के लिए उसमें अंतरप्राद्विपीय मिसाइल सक्षम बनाने की जरूरत है। हमें 5,500 किलोमीटर रेंज के मिसाइलों की जरूरत है ताकि यह पनडुब्बी भारतीय समुद्र के किसी भी हिस्से में अपने लक्ष्य के खतरा साबित हो सके।”
जानकार सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इस मिसाइल का परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया। इसे पानी के 20 मीटर अंदर छोड़ा गया और इसने लक्ष्य को दागने से पहले 700 किलोमीटर की दूरी तय की। इस दौरान 7 मार्च को इसकी एक डमी का भी नकली परीक्षण किया गया।
इस मिसाइल और पनडुब्बी दोनों को डीआरडीओ ने विकसित किया है। के-4 का नाम मिसाइल मैन के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
इस मिसाइल को खासतौर से अरिहंत के लिए ही विकसित किया गया है, क्योंकि दूसरा परमाणु सक्षम मिसाइल अग्नि-3 इस पनडुब्बी के लिए मुफीद नहीं है।