नई दिल्ली: विभिन्न मीडिया निकायों ने बीते सोमवार (16 अक्टूबर) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संविधान में बोलने की स्वतंत्रता, व्यवसाय और आजीविका का दावा करने की स्वतंत्रता सुरक्षित रहे. मीडिया की आजादी पर हमले के खिलाफ पत्रकारों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन भी किया.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट, डिजिपब, फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट्स क्लब, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, वेटरन जर्नलिस्ट ग्रुप और ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने ‘भारत में स्वतंत्र मीडिया की अभूतपूर्व स्थिति’ को लेकर एक प्रदर्शन किया.
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में संगठनों ने कहा कि इस समय देश में स्वतंत्र मीडिया के सामने अभूतपूर्व स्थिति है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, ‘पत्रकार के रूप में हम अपने देश द्वारा पिछले 75 वर्षों में की गई प्रगति पर सामूहिक रूप से गर्व महसूस करते हैं. एक अंधकारमय दौर भी था, जब चौथे स्तंभ (मीडिया) को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, एक ऐसा दौर जिसे हमारा लोकतंत्र दोहराते हुए नहीं देखना चाहेगा.’
पत्र में कहा गया, ‘आज हमारे समुदाय को वैसी ही लेकिन अधिक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि हमारे पेशे में अधिकांश लोगों को अनिश्चित कामकाजी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, पत्रकारों के खिलाफ कठोर कानूनों का उपयोग तेजी से बढ़ गया है.’
बीते 3 अक्टूबर को समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कठोर यूएपीए के तहत आतंकवाद और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया था. ऐसा तब हुआ जब पुलिस ने न्यूज़क्लिक से जुड़े 70 से अधिक स्थानों पर छापा मारा था, जिसमें उसके कर्मचारियों, योगदानकर्ताओं और सलाहकारों के घर भी शामिल थे.
पुलिस ने पत्रकारों के मोबाइल फोन, लैपटॉप और हार्डडिस्क सहित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को जब्त कर लिया था. पुलिस अब तक न्यूज़क्लिक से जुड़े कम से कम 46 पत्रकारों से पूछताछ कर चुकी है. इन पत्रकारों से 2020 के दिल्ली दंगे, मोदी सरकार के कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन और कोविड-19 संकट जैसे मामलों पर प्रमुखता से सवाल पूछे गए थे.
यह कहते हुए कि इनमें से कई कानूनों ने उस विशेष भूमिका को भी स्वीकार नहीं किया, जो स्वतंत्र प्रेस ने निभाई, जो कि इस देश के इतने सारे विविध नागरिकों की आवाज थी.