दैनिक ‘पत्रिका’ के दक्षिणी बस्तर स्थित दंतेवाड़ा कार्यालय से सोमवार शाम 5 बजे उठाए गए पत्रकार प्रभात सिंह के बारे में 24 घंटे बाद अब तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं है, लेकिन स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक प्रभात पर चार मुकदमे लगाए गए हैं और पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी मंगलवार को बस्तर से दिखाने की योजना बनाई है।
स्क्राल डॉट इन पर छापी खबर के मुताबिक सारे मामले की जड़ में बीते 1 मार्च को प्रभात द्वारा एक संगठन सामाजिक एकता मंच के खिलाफ दंतेवाड़ा पुलिस को भेजी गई लिखित शिकायत थी। मामले को जानने वाले बताते हैं कि वॉट्स ऐप के एक समूह के भीतर कुछ लोगों से हो रही परिचर्चा के दौरान अंग्रेज़ी का शब्द GOD हिंदी में लिखते वक़्त गलती से प्रभात से ‘ग’ के ऊपर चंद्रबिंदु लग गया था जिसके चलते अर्थ का अनर्थ हो गया और सारा फसाद वहीं से शुरू हुआ। इसके बाद ही उन्हें ”राष्ट्रद्रोही” कहा जाना शुरू हुआ और वॉट्स ऐप ग्रुप पर धमकियां मिलने लगीं, जिसके बाद 1 मार्च को प्रभात ने लिखित शिकायत की।
प्रभात की शिकायत पर तो पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन बताया जाता है कि सामाजिक एकता मंच की ओर से प्रभात के खिलाफ पलट कर एक शिकायत दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने इसी सिलसिले में प्रभात सिंह को कल उनके दफ्तर से उठाया है, लेकिन अब तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। दोपहर बाद मीडिया विजिल को मिली जानकारी के मुताबिक प्रभात सिंह की गिरफ्तारी आज यानी मंगलवार को दिखाने की कोशिश पुलिस करेगी और उनके ऊपर कुल चार मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें एक मामला वॉट्स ऐप ग्रुप के संदेशों के संबंधित है जो आइटी कानून की धारा के तहत है। एक और मामले का किसी आधार कार्ड से लेना-देना है।
प्रभात सिंह को जानने वाले पत्रकारों का कहना है कि चारों मामले फर्जी हैं और यह गिरफ्तारी दरअसल इसलिए हुई है क्योंकि प्रभात सिंह, सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी का सहयोग करते थे और उनकी ताकत थे। प्रभात सिंह पुलिस अधीक्षक कल्लूरी के कटु आलोचक थे। वे सोनी और लिंगा को रेवाली और नहाड़ी नामक गांवों में लेकर गए थे और वहां हुए कथित ”मुठभेड़ों” का परदाफाश करने वाली रिपोर्ट लिखी थी। प्रभात ने पत्रकार सुरक्षा कानून के समर्थन में पत्रकारों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इसी वजह से लंबे समय से वे कल्लूरी और उनके समर्थित लोगों के निशाने पर थे।
मासिक पत्रिका कारवां के मुताबिक सामाजिक एकता मंच नाम का संगठन कुख्यात सलवा जुडूम का ही दूसरा संस्करण है और बस्तर पुलिस व कल्लूरी से उसके करीबी रिश्ते हैं. इसी संगठन के माध्यम से बस्तर पुलिस सच लिखने वाले पत्रकारों को धमकाने का काम करती है.