भोपाल, 11 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार और पत्रकार मृणाल पांडे ने केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह के कथित अटपटे बयान पर हैरानी जताते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि उनका किस तरह के साहित्यकारों से परिचय रहा है।”
बीते दिनों 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन की तैयारियों के दौरान विदेश राज्यमंत्री का एक बयान कथित रूप से सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सम्मेलन पिछले सम्मेलनों से अलग है, यह सम्मेलन सिर्फ साहित्य तक केंद्रित नहीं है, यह भाषा के विस्तार और प्रसार के लिए है। साहित्यकारों द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर उनका जवाब था, “कुछ लोगों को लग रहा है कि वे आते थे, दारू पीते थे, आलेख पढ़ते थे, कविता पढ़ते थे और चले जाते थे, वैसा इस बार नहीं है।”
सम्मेलन में हिस्सा लेने भोपाल आईं मृणाल ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “इतने ऊंचे ओहदे पर बैठे व्यक्ति को इतनी सतही बात नहीं करनी चाहिए। मुझे नहीं मालूम कि वे किस तरह के साहित्यकारों के संपर्क में आए हैं, मुझे यह भी नहीं मालूम कि वे किस तरह का साहित्य पढ़ते हैं। इसके लिए उन्हें समय भी मिलता है कि नहीं।”
साथ ही उन्होंने कहा कि लगता है कि उनका अच्छे साहित्यकारों और साहित्य से परिचय बहुत कम है।
मृणाल ने कहा, “आयोजन स्थल के द्वार से लेकर अंदर तक बड़े-बड़े साहित्यकारों के पोस्टर लगाए गए हैं, मुझे अफसोस है कि इतने बड़े आयोजन में मध्य प्रदेश के ऐसे साहित्यकारों को नहीं बुलाया गया जो ज्ञानपीठ से लेकर साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।”
उन्होंने तल्ख लहजे में कहा, “बड़ी ऐंठ के साथ कहा गया कि इस सम्मेलन से साहित्य को दूर रखा गया है।..साहित्य तो गंगोत्री है, उसे काटोगे तो तुम्हारी गंगा सूख जाएगी।”