चंडीगढ़, 4 मई (आईएएनएस)। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में चार संसदीय क्षेत्रों में जीत हासिल कर अप्रत्याशित रूप से उभरी थी, क्योंकि प्रदेश की नौ अन्य सीटों पर भी इस पार्टी के प्रदर्शन से प्रतिस्पर्धी हैरान थे, लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है।
चंडीगढ़, 4 मई (आईएएनएस)। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में चार संसदीय क्षेत्रों में जीत हासिल कर अप्रत्याशित रूप से उभरी थी, क्योंकि प्रदेश की नौ अन्य सीटों पर भी इस पार्टी के प्रदर्शन से प्रतिस्पर्धी हैरान थे, लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है।
अंदरूनी कलह से जूझ रही इस पार्टी को अब अपनी डूबती नौका बचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले चार सालों में कई नेता या तो पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं या उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
‘आप’ के चार प्रमुख बागी नेता -पटियाला से सांसद धर्मवीर गांधी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खरा, विधायक बलदेव सिंह और चर्चित गायक से राजनेता बने जस्सी जसराज क्रमश: पटियाला, बठिंडा, फरीदकोट और संगरूर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं।
बठिंडा को छोड़ बाकी तीनों सीटें 2014 में ‘आप’ की झोली में गई थीं और पार्टी को 24.4 फीसदी वोट मिले थे।
अब ‘आप’ के ये चारों बागी नेता छह दलों के गठबंधन पंजाब डेमोक्रेटिक एलायंस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं।
यह गठबंधन खरा ने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मतभेद होने और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से हटाए जाने के बाद बनाया है।
इनका मकसद आप को हराना है। प्रदेश में आप 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी के भीतर कलह तब शुरू हुई, जब सांसद व हृदयरोग विशेषज्ञ गांधी और हरिंदर सिंह खालसा (फतेहगढ़) को मई 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
इसी प्रकार, आप ने प्रदेश के पार्टी प्रमुख सुच्चा सिंह छोटेपुर को अगस्त 2016 में रिश्वत के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पार्टी के 20 विधायकों में से 8 पाला बदल चुके हैं। हाल ही में विधायक नजर सिंह मनशहिया ने आप को छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया।
रूपनगर के आप विधायक अमरजीत सिंह संदोया भी शनिवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिह की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए।
लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 19 मई को पंजाब में मतदान होगा।