चंडीगढ़, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)| पंजाब में अभी चुनाव का समय नहीं है, लेकिन इसके बावजूद राज्य चुनावी मुद्रा में है। यहां सभी राजनैतिक दलों की रैलियों का रेला लगा हुआ है।
इस मामले में सबसे आगे सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल है। दल ने बठिंडा, मोगा, गुरदासपुर, जालंधर, खदूर साहिब में ‘सद्भावना रैली’ और पटियाला में ‘विशाल रैली’ करने का ऐलान किया है।
अकाली दल की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी इन रैलियों में भागीदारी कर रही है। ऐसी चर्चा थी कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा अकेले मैदान में उतर सकती है लेकिन बिहार में पार्टी की हार ने रुख बदल दिया और पार्टी अकाली दल के साथ नजर आने लगी।
अकाली दल की यह रैलियां उस स्थिति की उपज हैं जिसमें पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद राज्य में हुए विरोध प्रदर्शनों से मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की नींद उड़ी हुई है। चरमपंथी सिख संगठन इस मौके का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
विपक्षी कांग्रेस बीते एक साल से अंतर्कलह की शिकार रही है। अब राज्य में पार्टी की कमान पूर्व मुख्यमंत्री अमरदिर सिंह को सौंपे जाने के बाद पार्टी नए सिरे से कमर कस रही है।
सभी की निगाहें 15 दिसंबर पर लगी हुई हैं। इसी दिन कांग्रेस बठिंडा में बड़ी रैली करने वाली है। इसी रैली में अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान औपचारिक रूप से संभालेंगे।
इस रैली के समानांतर 15 दिसंबर को बठिंडा में ही अकाली दल ने भी रैली करने का ऐलान किया है। खास बात यह है कि यह रैली अमरिंदर सिंह के मोती बाग महल के सामने होगी।
कांग्रेस ने अमरिंदर की ताजपोशी के लिए बठिंडा को ही इसलिए चुना क्योंकि उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस को चुनौती दी थी कि वह अकाली दल की यहां 23 नवंबर को हुई सद्भावना रैली जैसी रैली करके दिखाए।
बठिंडा से केंद्रीय मंत्री और सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर सांसद हैं।
बठिंडा के बाद कांग्रेस की कई और रैलियां करने की योजना है।
आम आदमी पार्टी (आप) भी पीछे नहीं है। पार्टी के पंजाब से चार सांसद हैं। पार्टी ने राज्य में कई सभाएं की हैं। बताया गया है कि अगले साल पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल राज्य में कुछ दिन बिताएंगे और पार्टी को मजबूत करेंगे।
पंजाब की 117 सदस्यीय विधानसभा का चुनान फरवरी-मार्च 2017 में होगा।