बठिंडा/बरनाला। समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को कहा कि जब तक लोकपाल कानून नहीं बन जाता, तब तक न मैं डरने वाला हूं। न मैं हटने वाला हूं और न ही मरने वाला हूं। अन्ना ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई में सब लोग शामिल हों। वहीं युवाओं के बारे में अन्ना ने कहा कि यूवा वर्ग नशे को छोड़कर समाज की सेवा करें। उन्होंने युवाओं को राष्ट्रशक्ति बताया। बठिंडा में सभा को संबोधित करने से पहले अन्ना का शानदार स्वागत हुआ। बरनाला में भी अन्ना ने लोगों को लामबंद किया।
भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के लिए अमृतसर से जनतंत्र यात्रा शुरू करने वाले समाज सेवक अन्ना हजारे ने बठिंडा में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक लोकपाल कानून नहीं बन जाता, तब तक न मैं डरने वाला हूं। न मैं हटने वाला हूं और न ही मरने वाला हूं। उन्होंने नशे के खिलाफ युवाशक्ति का आह्वान किया। युवाओं को राष्ट्रशक्ति बताते हुए अन्ना ने कहा कि युवा पीढ़ी नशे के बजाए समाज की सेवा करें।
इससे पहले, जनतंत्र यात्रा के पहले दिन रविवार को जालंधर में अन्ना हजारे और उनके साथियों ने बातचीत में किसी राजनीतिक दल या नेता का नाम लिए बगैर कहा था कि राजनेता जनता के सेवक हैं, अवाम उन्हें अपने भविष्य की रूपरेखा तय करने के लिए भेजती है। वह संसद या विधानसभाओं में जाते ही ‘लुटेरों’ की भूमिका में आ जाते हैं तथा हमारी आपकी तिजोरियों को लूटना शुरू कर देते हैं।
अन्ना ने वहां लोगों से अपील की थी कि आगामी आम चुनाव नजदीक है। इसमें ऐसे नेता को जनता चुने जो साफ सुथरी छवि का हो। मौजूदा संसद में 163 सांसद दागी हैं। 15 मंत्री आरोपी हैं। आप स्वयं समझिए कि वह अपना दाग धोएंगे, अपने आरोप को हटाने की कोशिश करेंगे कि आपकी समस्याओं को देखेंगे। उन्होंने कहा कि मैं आपको जगाने आया हूं। आप उठिए क्योंकि मैं यह अपने लिए नहीं बल्कि आपके लिए कर रहा हूं।
दूसरी तरफ, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा था कि देश में भ्रष्टाचार इतना अधिक है कि हमें किसी भी काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। हमारा मकसद भ्रष्टाचार मुक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण है। हमें फौज में भी सिखाया जाता है कि देश सेवा सर्वोपरि है लेकिन आज के नेताओं ने देश सेवा को सबसे नीचे रख दिया है। उन्होंने कहा कि ये राजनेता ही हैं जो देश को जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र आदि के नाम पर बांटते हैं और हम ‘बेवकूफ’ हैं जो बंट भी जाते हैं इसलिए अब जागना जरूरी है