नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। जिस प्रकार से तकनीक हमारे जिंदगी के हर भाग में प्रवेश कर गया है और चिंताओं व विवादों को सुलझाने के लिए एक नए प्रकार के पहलू का उदय हुआ है, ऐसे में कानून के क्षेत्र में प्रतिष्ठा उसी के पास होगी जो खुद को ‘सुपर वकील’ में तब्दील करेगा।
दूसरे शब्दों में कहें तो जो वकील डाटा को उसी आसानी के साथ पढ़ और उसका विश्लेषण कर सकता है, जिस आसानी से वह दंड संहिता को पढ़ सकता है, वही ‘सुपर वकील’ है।
देश के शीर्ष कानूनी और साइबर विशेषज्ञों ने सोमवार में यहां जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) द्वारा आयोजित वार्षिक कांफ्रेंस ‘लेक्स कॉनकर्कस’ में इस बाबत चर्चा की।
विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति सी. राजकुमार ने कहा, “नवाचार प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस के समय में, भारतीय न्यायपालिका का भविष्य सुपर वकीलों के हाथों में हैं।”
जेजीएलएस के संस्थापक डीन राजकुमार ने नए वकीलों से परंपरागत वकीलों के विकल्प से बाहर जाकर खुद के कॉरपोरेट लॉ कंपनी के साथ कानूनी उद्यमी बनने के लिए अपने सपने के दायरे को बड़ा करने की अपील की।
फोरम में प्रौद्योगिकी नवाचार के समय में कानूनी प्रणाली के भविष्य और नए वकीलों को क्या करना चाहिए, इस पर ध्यान दिया गया।
साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा, “हाथ में सभी प्रकार के सूचना व तकनीकी सहयोग के साथ, ग्राहक के पास डेटा विश्लेषण और जानकारी पहले से ही मौजूदा होगा। जरूरत होगी कि वकील उन्हें आगे का रास्ता दिखाए और जरूरी सहयोग मुहैया कराए। इसलिए भविष्य के वकीलों को विश्लेषक, प्रसारक और वकील को मिलाकर एक सुपर वकील बनने की जरूरत है।”