अंबी खैरनी, 3 मई (आईएएनएस)| नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद बड़ी संख्या में मंदिर नष्ट हो गए हैं। इस संकट की घड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के सुरक्षित स्थानों पर चले जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मंदिर सुनसान छोड़ दिए गए हैं।
अपनी समृद्ध विरासत, विशालकाय मंदिरों और मजबूत धार्मिक रीति-रिवाजों के लिए प्रख्यात नेपाल में बड़ी संख्या में छोटे और मध्य आकार के मंदिर और पूजास्थल तबाह हो गए हैं।
राजमार्गो के किनारे और गांवों में मौजूद मंदिर इस त्रासदी से सुनसान हो गए हैं।
यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से ये पूजास्थल व्यापक स्तर पर नष्ट हो गए हैं।
इस गांव के सड़क किनारे एक छोटे से मंदिर में गणेश की मूर्ति में कई दरारें आ गई हैं। मूर्ति पर लगा सूखा सिंदूर और सड़े गले फूल ही इस स्थल की निशानी हैं।
काठमांडू के राजमार्ग पर दास डुंगा पर स्थित देवी दुर्गा का मंदिर अपेक्षाकृत अन्य मंदिरों के मुकाबले बड़ा है। इस मंदिर में बरामदा, छोटे कंक्रीट के बने बेंच और एक लोकप्रिय नेता मदन भंडारी की मूर्ति लगी है। इस नेता की मौत कई साल पहले कार दुर्घटना में हुई थी।
इस क्षेत्र के निवासी सुदीप बसतोला ने कहा कि दिवंगत नेता की याद में इस मूर्ति का निर्माण कराया गया था।
सामान्य दिनों में यहां से गुजरने वाला प्रत्येक व्यक्ति और वाहन यहां रुककर सुरक्षित यात्रा के लिए प्रार्थना करता है।
चंडीभायांग के कालीखोला में स्थित शिव की मूर्ति भी परित्यक्त है। यह मूर्ति पत्थर की बनी है। लोगों का कहना है कि पिछले सप्ताह तक यह एक अच्छा-खासा मंदिर था। लोग यहां सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए छोटे त्रिशूल अर्पित करते थे।
अलीस महाराजन ने आईएएनएस को बताया, “ग्रामीण अक्सर यहां प्रार्थना करने आते थे। लेकिन अब ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।”
एक अन्य ग्रामीण ने आईएएनएस को बताया, “इस तरह लोगों ने अपने भगवान से मुंह मोड़ लिया है। संकट की घड़ी में इस तरह का बर्ताव माफ करने योग्य है।”