नई दिल्ली- भारतीय भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने धन ठिकाने लगाने के लिए यूएई में 13 कंपनियों और हांगकांग में छह कंपनियों का इस्तेमाल किया। यह बात अभियोजक ने नीरव के प्रत्यर्पण पर शुरू हुई पांच दिवसीय सुनवाई के पहले दिन लंदन की एक अदालत को बताई। लंदन स्थित सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि भारत द्वारा धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों में जारी एक प्रत्यर्पण वारंट पर मार्च 2019 में ब्रिटेन में स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा गिरफ्तार किए गए मोदी ने लंदन के वैंड्सवर्थ स्थित जेल से वीडियो लिंक के जरिए अदालत की सुनवाई में हिस्सा लिया।
भारतीय जांच एजेंसियां केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नीरव मोदी का प्रत्यर्पण चाहती हैं, और उनकी तरफ से ब्रिटेन में क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) पैरवी कर रही है।
सीपीएस की तरफ से पेश बैरिस्टर हेलेन मैल्कम ने अदालत को बताया कि नीरव मोदी ने पीएनबी के कुछ अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर लगभग दो अरब डॉलर का गबन किया और पीएनबी के अधिकारी गोकुलनाथ शेट्टी को रिश्वत दी।
उन्होंने अदालत को बताया कि नीरव ने एक गवाह को धमकी भी दी कि यदि उसने उसके खिलाफ बयान दिया, तो वह उसे जान से मार डालेगा।
धोखाधड़ी के बारे में मैल्कम ने अदालत को बताया कि एक सस्ती दर पर सामग्री, जैसे मोती, खरीदने के बहाने नीरव मोदी ने भारत में स्थानीय बैंकों से ऋण लिए।
उन्होंने कहा, “ऋण प्राप्त करने के लिए जरूरी बैंक गारंटी, पीएनबी के भ्रष्ट बैंक अधिकारियों द्वारा एमओयू के रूप में साइन की गई और इस तरीके से हासिल की गई धनराशि का इस्तेमाल कच्चा माल खरीदने के बदले पहले का एक ऋण चुकाने में किया गया।”
मैल्कम ने कहा, “हर ऋण को चुकाने के लिए उससे बड़ा ऋण लिया गया।”
मैल्कम ने अदालत को यह भी बताया कि प्रत्यर्पण के बाद नीरव को महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित आर्थर रोड जेल के बैरक 12 में रखा जाएगा।