पटना, 5 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खुली चिट्ठी के जवाब में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं ने भी बिहार के लोगों के नाम खुली चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में स्पष्ट कहा गया है कि नीतीश का मतलब बिहार नहीं है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर ‘डीएनए’ के संदर्भ में दिए गए बयान पर ऐतराज जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की तो राजग ने भी चिट्ठी के जरिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। राजग नेता राम विलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी, सुशील मोदी और सी.पी. ठाकुर द्वारा लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि मुख्यमंत्री का पत्र बहुत निराशाजनक है।
नेताओं ने चिट्ठी में लिखा है कि पत्र में बिहार की उन्नति के विषय में कुछ नहीं लिखा गया है बल्कि बिहार की आवाज को एक आदमी की आवाज, एक मुख्यमंत्री और उसके हठ की आवाज बनाने की साफ , निंदनीय और सोची समझी साजिश की गई है।
चिट्ठी में कहा गया, “बिहार में लोगों को हांक कर अपने इशारों पर चलाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं हुई है। हम विनम्रतापूर्वक कहना चाहते हैं कि ‘बिहार नीतीश कुमार नहीं हैं और न ही नीतीश बिहार’ हैं। मैं ही बिहार हूं, यह नीतीश का भ्रम है।”
नेताओं ने कहा है कि मुख्यमंत्री का यह कदम बिहार के लोकाचार के अनुरूप भी नहीं है। बिहार तो लोकतंत्र, सहिष्णुता, संवाद और दूरदर्शी नेतृत्व की भूमि है।
चिट्ठी में कहा गया है, “नीतीश से इतनी तो अपेक्षा की ही जा सकती है कि उनमें शब्दों और मुद्दों की समझ होगी। प्रधानमंत्री ने 26 जुलाई को मुजफ्फरपुर के अपने भाषण में मुख्यमंत्री की राजनीतिक यात्रा के बारे में एकदम सटीक और प्रासंगिक टिप्पणी की, जिसे हमारी (और अन्य कई लोगों की भी) राय में छल, कपट और एहसानफरामोशी के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।”
नेताओं ने सफाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का बयान नीतीश कुमार के राजनीतिक डीएनए के बारे में था न कि बिहार के डीएनए के बारे में। नेताओं ने प्रधानमंत्री के शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए मुख्यमंत्री से माफी भी मांगने की अपील की है।
राजग के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए बिहार हमेशा प्राथमिकता पर रहा है।