नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। परेशानी से जूझ रहे निर्माण क्षेत्र को उबारने के लिए सरकार ने बुधवार को नए नियमों को मंजूरी दी, जिससे विवादों का जल्द समाधान सुनिश्चित होगा, तथा रुकी हुई परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ेंगी और उनके वित्तपोषण में आसानी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि निर्माण क्षेत्र की समस्याओं का त्वरित समाधान करने की जरूरत है, जिसकी देश के सकल घरेलू उत्पाद में आठ फीसदी हिस्सेदारी है।
सरकार द्वारा अनुमोदित उपायों में पूरी हो चुकी परियोजनाएं जो बिक्री के इंतजार में हैं, उनके लिए मॉडल ड्रॉफ्ट का परिसंचरण, परियोजनाओं के पूरा होने पर अवसंरचना कंपनी के 75 फीसदी पैसों को जारी करना, और कंपनियों तथा स्थानीय निकायों के बीच विवादों को एक नए मध्यस्थता कानून के तहत लाने जैसे उपाय शामिल हैं।
नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी एजेंसियों के पास जमा होनेवाली 75 फीसदी पंचाट राशि एक निलंबित संपत्ति खाते में जमा की जाएगी, जिसका इस्तेमाल बैंक से लिए गए कर्ज को लौटाने या जारी परियोजनाओं में भी किया जा सकेगा।
मंत्री ने यह भी कहा कि वित्तीय सेवाओं का विभाग और भारतीय रिजर्व बैंक एक नीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन कंपनियों से कैसे निपटा जाए जो रियल स्टेट के क्षेत्र में दबाव वाली परिसंपत्तियों से जूझ रही हैं।
कैबिनेट नोट के मुताबिक, राष्ट्रीय आय में प्रमुख भागीदारी के साथ यह क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा करता है और इस क्षेत्र में चार करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यह एक अत्यधिक रोजगार गहन क्षेत्र है और अनुमान है कि इसमें प्रति लाख रुपये के निवेश से अप्रत्यक्ष तौर पर 2.7 नई नौकरियों का सृजन होता है।
नोट में कहा गया है, “हाल के सालों में निर्माण क्षेत्र में कई सारी परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। खासतौर से साल 2011 से 2014 के बीच में। इसके अलावा बैंकों का भी 45 फीसदी कर्ज इसी क्षेत्र में अटका हुआ है, जिसकी रकम अनुमानत: तीन लाख करोड़ रुपये है।”
इसमें आगे कहा गया है, “इसके अलावा करीब 70,000 करोड़ रुपये सरकारी एजेंसियों और निर्माण कंपनियों के बीच विवाद में अटके हुए हैं। सरकारी निकायों के खिलाफ किए गए दावों के करीब 85 फीसदी मामले अटके हुए हैं, जिसमें 11 फीसदी सरकारी एजेंसियों के पास, 64 फीसदी पंचाट के पास और 8.5 फीसदी रकम अदालत के पास अटकी पड़ी है।”
सरकार के इस फैसले का कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने स्वागत किया है और कहा कि यह निर्णय उपयुक्त समय पर आया है और यह निर्माण कंपनियों और अवसंरचना क्षेत्र के तरलता संकट को दूर करेगा।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “भारतीय उद्योग सरकार द्वारा समय पर उठाए गए इस सकारात्मक पहल का स्वागत करता है। इससे मुकदमेबाजी और अदालतों में अटकी पड़ी संपत्तियों को पुर्नजीवित करने का मौका मिलेगा।”