इस्लामाबाद, 22 फरवरी (आईएएनएस)। पाकिस्तान के एक समाचार पत्र ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान के निर्दोष लोगों को जेल की यंत्रणा से बचाने के लिए दोनों देशों के बीच संधि का होना जरूरी है। अखबार का मानना है कि दोनों देशों के बीच टकराव का शिकार अकसर आम लोगों को होना पड़ता है।
‘द नेशन’ अखबार के सोमवार को प्रकाशित संपादकीय ‘द स्मॉलर इश्यूज’ में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती मूंछ की लड़ाई का खामियाजा आम नागरिकों को ही भुगतना पड़ता है।
पिछले शनिवार को भी समुद्री सुरक्षा एजेंसियों ने कथित रूप से पाकिस्तानी जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए गए 88 भारतीय मछुआरों पकड़ लिया।
अखबार ने कहा, “दोनों देशों के बीच कूटनीति से संबंधित कोई भी वार्ता नहीं होने से यह स्पष्ट हो गया है कि इस तरह की घटनाएं शीघ्र बंद नहीं होने वाली हैं।”
दिसंबर 2015 में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में पहल करने पाकिस्तान आईं थीं। उसके बाद से तीन महीने में मछुआरों की गिरफ्तारी की यह तीसरी घटना है।
संपादकीय में कहा गया है, “पिछले महीने भारत के पठानकोट वायु सेना अड्डे पर हमला होने के बाद दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तर की प्रस्तावित वार्ता स्थगित कर दी गई। मछुआरों की गिरफ्तारी की इस घटना से पहले भी पाकिस्तानी नौ सैनिकों ने अरब सागर में कथित रूप से पाकिस्तानी जल क्षेत्र में प्रवेश करने पर 66 भारतीय मछुआरों को पकड़ा था।”
दैनिक ने लिखा है कि जल सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन ये मछुआरे बहुत ही गरीब हैं और उनके पास ऐसे उपकरण भी नहीं होते जिनसे वे सुनिश्चित कर सकें कि वे अपनी ही जल सीमा में मछली पकड़ रहे हैं।
द नेशन ने लिखा, “इन प्रौद्योगिकी विहीन मछली पकड़ने वाली नावों में ऐसा कुछ होना चाहिए जिससे मछुआरों को सही स्थान की जानकारी मिल सके और उन्हें पता चल सके कि वे अचानक दूसरे देश की जल सीमा में प्रवेश कर गए हैं।”
अखबार ने कहा है, “सबसे जरूरी है कि दोनों देशों के बीच संधि होनी चाहिए ताकि दोनों देशों के निर्दोष लोग ऐसी मामूली गलती की वजह से जेल में दिन नहीं बिताएं। सरक्रीक जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों की वास्तविक जल सीमा के निर्धारण जैसे बड़े मुद्दों का अब तक हल नहीं हुआ है। आधिकारिक स्पष्टता के अभाव में चूक होने मात्र से अगर गरीब लोगों को जेल में रखा जाता है तो इससे किसी भी देश का भला नहीं होगा।”