पुणे, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। फिल्म्स एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एफटीआईआई) के अध्यक्ष के रूप में अपनी विवादपूर्ण नियुक्ति के कई महीनों बाद भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य गजेंद्र चौहान अब तक अपने कार्यालय नहीं गए हैं। इसका खुलासा सोमवार को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ।
इस संबंध में अर्जी मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दायर की थी।
गलगली ने कहा कि चौहान की नियुक्ति की वास्तविक तिथि को लेकर भी स्पष्टता नहीं है।
हालांकि चौहान को एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर इस साल नौ जून को नियुक्त किया गया, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, चौहान को चार मार्च, 2014 को नियुक्त किया गया था।
गलगली ने आईएएनएस को कहा, “बहरहाल, उनकी नियुक्ति को लेकर जो भी तारीख सही हो, वह अभी तक एक दिन भी कार्यालय नहीं गए हैं। उनकी नियुक्ति के बाद भी संस्थान इस बारे में बेपरवाह है और विवादों में उलझा है।”
गलगली ने एफटीआईआई से पिछले 15 वर्षो में उनके अध्यक्षों, उनकी उपस्थिति, शिक्षा और कार्यकाल के बारे में जानकारी मांगी थी।
इससे पूर्व संस्थान के अन्य अध्यक्षों के कार्यकाल में भी स्थिति ऐसी ही थी। इस प्रख्यात संस्थान में 1999 से अब तक नौ अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है, जिनमें श्याम बेनेगल, मृणाल सेन और आर.के. लक्ष्मण भी शामिल हैं।
भाजपा के सांसद व अभिनेता विनोद खन्ना दो वर्षो के लिए दो बार अध्यक्ष नियुक्त किए गए, लेकिन वे केवल दो बार ही कार्यालय गए। तीन महीने के सबसे कम कार्यकाल में भाजपा के सांसद पवन चोपड़ा ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 16 दिसंबर 2002 को ही कार्यालय के दर्शन किए।
लेखक व समीक्षक यू.आर. अनंतमूर्ति अपने आठ वर्ष की कार्यावधि में 26 बार कार्यालय गए। फिल्म निर्माता सईद मिर्जा ने तीन वर्षो तक अध्यक्ष पद संभाला और इस अवधि में वह 20 बार अपने कार्यालय गए। अभिनेता, निर्देशक गिरीश कर्नाड बतौर अध्यक्ष अपने एक साल के कार्यकाल में छह बार कार्यालय गए।
गौरतलब है कि एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के विरोध में इस प्रतिष्ठित संस्थान के छात्र पिछले करीब चार माह से भी ज्यादा समय से हड़ताल पर हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय से उनकी चार मुलाकातों का भी कोई परिणाम नहीं निकला।
छात्रों की मंगलवार को नई दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ से मामले को लेकर मुलाकात होनी है।