मुंबई, 20 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता रामराजे निम्बालकर को शुक्रवार को निर्विरोध महाराष्ट्र विधानपरिषद का अध्यक्ष चुन लिया गया।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना के विधानपार्षदों ने विधानपरिषद अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव का बहिष्कार किया था।
भाजपा के एकनाथ खडसे और शिवसेना नेता रामदास कदम ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर विधानपरिषद के अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। इससे निम्बाल्कर के निर्विरोध चुने जाने का रास्ता साफ हो गया।
खडसे ने राज्य विधानमंडल के पास संवाददाताओं से कहा था, “हम इस मुद्दे पर एकजुट हैं। इस मामले पर न तो कांग्रेस का समर्थन करने का सवाल है और ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का। इसलिए हमने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।”
कांग्रेस नेता शिवाजीराव देशमुख को विधानपरिषद के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद इस पद के लिए चुनाव जरूरी हो गया था। उन्हें 16 मार्च को एक अविश्वास प्रस्ताव पारित कर पद से हटा दिया गया था। वह 11 साल से इस पद पर थे।
एनसीपी के पास सदन में सबसे ज्यादा 28 सदस्य हैं। इसके बाद कांग्रेस के पास 21, भाजपा के पास 12 और शिवसेना के पास सात सदस्य हैं। बाकी कुछ सीटें अन्य पार्टियों के पास हैं।
देशमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा ने विपक्षी पार्टी राकांपा का साथ दिया था। कांग्रेस ने देशमुख को अपदस्थ करने के लिए भाजपा और राकांपा के बीच ‘साठगांठ’ होने का आरोप लगाया गया था।
निम्बाल्कर सतारा जिले में स्थित फलटन के शाही परिवार से आते हैं, जिसका छत्रपति शिवाजी के वंशजों के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है। उन्हें राकांपा प्रमुख शरद पवार का करीबी माना जाता है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने निम्बालकर की जीत का स्वागत किया और विधायक तथा मंत्री के रूप में उनके पूर्व के कार्यो की सराहना की।