प्रशांत सूद
काठमांडू, 30 सितम्बर (आईएएनएस)। नेपाल के उप प्रधानमंत्री बामदेव गौतम ने आरोप लगाया है कि देश के नए संविधान के खिलाफ मधेसी समुदाय की ‘नाकेबंदी’ को भारत का समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार चीन से जमीन, पानी और हवा के रास्ते जरूरी सामान मंगा सकती है।
यहां अपने घर पर आईएएनएस से खास मुलाकात में गौतम ने कहा कि नाकेबंदी से भारत पर भी असर पड़ेगा क्योंकि उसका निर्यात इससे प्रभावित होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति सुधरेगी, साथ ही कहा कि नेपाल आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति के लिए कई वैकल्पिक व्यवस्थाएं कर सकता है।
उन्होंने कहा, “यह चाहे जितना मुश्किल हो लेकिन हम हवाई रास्ते से दुनिया के कई देशों से संपर्क साधेंगे। हम जमीन के रास्ते चीन पहुंचेंगे और वहां से (वस्तुओं की आपूर्ति के लिए) विश्व से संपर्क साधेंगे।”
गौतम नेपाल के गृहमंत्री भी हैं। वह नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता हैं। उन्होंने कहा कि इस साल अप्रैल में आए भूकंप की वजह से चीन जाने वाली सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है।
यह पूछने पर कि क्या जमीन के रास्ते चीन से सामान लाना आसान होगा, गौतम ने कहा कि मजबूरी में कोई विकल्प नहीं होता।
उन्होंने कहा, “भले ही यह कठिन हो लेकिन मजबूरी में हम और क्या कर सकते हैं। भूकंप ने सड़क तबाह कर दी है लेकिन हम इसे ठीक करेंगे। हमें बाहरी दुनिया से संपर्क कायम करना है और यह हम करेंगे।”
नेपाल के तराई क्षेत्र की मधेसी पार्टियां नए संविधान में बदलाव के लिए भारत से लगी सीमा के पास लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। उनका कहना है कि तराई के लोगों और अन्य जातीय समूहों को संविधान में पर्याप्त जगह नहीं मिली है।
भारत चाहता है कि नेपाल मधेसियों और अन्य जनजातियों की मांगों पर विचार करे।
चारों तरफ से जमीन से घिरे नेपाल के बारे में गौतम ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संधियों के हिसाब से नेपाल को सामुद्रिक क्षेत्र के इस्तेमाल का हक हासिल है।
उन्होंने कहा, “हमारे एक तरफ चीन है और एक तरफ भारत। हमारे पास समुद्र नहीं है। ऐसे देशों को समुद्री रास्ते के इस्तेमाल का हक हासिल है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से यह हक हासिल है। यह हमारा अधिकार है। हमें समुद्र तक जाने दिया जाए। हम भारत से या किसी अन्य से वस्तुओं की आपूर्ति करा सकते हैं। इस अधिकार को रोका नहीं जाए। यही मसले का हल है।”
उन्होंने कहा कि नाकेबंदी से भारत ज्यादा प्रभावित होगा। नेपाल का 70 फीसदी व्यापार भारत के साथ है। जिन लोगों का सामान नेपाल नहीं आ सकेगा, वे (भारत) सरकार के खिलाफ उठ खड़े होंगे। तब सरकार को नाकेबंदी हटानी पड़ेगी।
गौतम ने कहा कि पूरी दुनिया ने नेपाल के संविधान का स्वागत किया, सिर्फ भारत ने नहीं किया। भारत ही जाने कि उसने ऐसा क्यों किया। भारत के इस रुख के बाद मधेसी दलों ने सीमा पर नाकेबंदी का ऐलान किया। और, इसमें भारत सरकार ने उन्हें पूरा सहयोग दिया।
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के समय में भी ऐसी नाकेबंदी हुई थी लेकिन नेपाल झुकेगा नहीं।
उन्होंने कहा, “फिर से नाकेबंदी हुई है। भारत सरकार के प्रतिनिधि कहते हैं कि ये भारत की नीति नहीं है। लेकिन उनके सुरक्षा अधिकारी कहते हैं कि उन्हें उनकी केंद्र सरकार से निर्देश मिला है कि नेपाल में वाहनों को न जाने दिया जाए।”
उन्होंने कहा कि मोदी जब यहां आए थे तो उन्होंने नेपालियों का दिल जीत लिया था। अब उन्हीं के शासनकाल में यह हो रहा है। उन्हें इसे खत्म कराना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मधेसी पार्टियों की मांगों को संविधान में शामिल किया गया है।
यह पूछने पर कि फिर मधेसी पार्टियों ने नए संविधान पर दस्तखत क्यों नहीं किए, उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानता।”