भारत सरकार ने कहा है कि गंगा नदी में प्रदूषित जल के प्रवाह पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी और सिर्फ जलशोधन संयंत्र से साफ किए गए पानी को ही नदी में छोड़ा जाएगा.
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने केंद्रीय सिंचाई और ऊर्जा बोर्ड की बैठक में इस बात पर अफसोस जताया कि नदियों को निरंतर गंदा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अंधाधुंध विकास की गतिविधियों ने साफ पानी और देश की सांस्कृतिक विरासत के भंडार को कूड़ा कचरा बहाने का माध्यम बना डाला है. उमा भारती ने चेतावनी दी कि अगर इसे नहीं रोका गया तो एक दिन भारत के पास स्वच्छ जल बचेगा ही नहीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने गंगा को साफ करने को अपनी सरकार की प्राथमिकता बनाया है. गंगा को फिर से साफ करने पर 2,027 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है. गंगा के किनारे देश के 140 जिले हैं जिनकी फैक्टरियों का पानी गंगा में डाल दिया जाता है. प्रदूषण फैलाने वालों पर लगाम कसने के लिए गंगा के किनारे चार हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने की भी योजना है.
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे कार्यक्रम तैयार कर रही है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि गंगा में सिर्फ परिशोधित जल ही जाए और उसकी स्वच्छता प्रभावित नहीं हो. शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर इस्तेमाल हुए पानी की सफाई करने और उसका खेती और बागबानी में इस्तेमाल करने की योजना है. उन्होंने कहा कि अगर यह कार्यक्रम सफल रहा तो अन्य नदियों में भी इसे लागू किया जाएगा ताकि वे भी प्रदूषण से मुक्त हो सकें.
उमा भारती ने नदियों के विकास को एक दुष्कर कार्य बताते हुए कहा कि इसके लिये सरकारी एजेंसियों के अलावा नागरिक एवं सामाजिक संगठनों को आगे आना होगा. सरकार अपनी भूमिका निभाएगी पर आम लोगों की भागीदारी के बिना यह संभव नहीं हो सकता. समाज के हर वर्ग को सक्रिय सहभागिता से सुनिश्चित करना होगा कि नदियां प्रदूषित नहीं हों.
वार्ता