भोपाल, 13 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के ऊर्जा एवं जनसम्पर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि नर्मदा नदी के संरक्षण अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिए जाने की जरूरत है। शुक्ल ने यह बात शुक्रवार को जन अभियान परिषद द्वारा ‘टिकाऊ खेती के माध्यम से नर्मदा नदी के संरक्षण में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका’ विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला में कही।
राजधानी भोपाल के समन्वय भवन में आयोजित कार्याशाला में ऊर्जा मंत्री शुक्ल ने आगे कहा कि सामाजिक परिवेश में विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। पर्यावरण संरक्षण विशेष रूप से जल तथा ऊर्जा संरक्षण के संदेश को व्यावहारिक रूप में जीवन में उतारना होगा। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मानी जाती है। नर्मदा का अस्तित्व प्रदेश के अस्तित्व के साथ जुड़ा है।
शुक्ल ने कहा कि हाल ही के वर्षो में राज्य ने जैविक खेती के क्षेत्र में सारे देश में विशिष्ट पहचान बनाई है। देश की कुल जैविक खेती में मध्यप्रदेश का योगदान करीब 40 प्रतिशत है। नर्मदा नदी के किनारे के गांवों में जैविक खेती को विशेष रूप से बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है।
ऊर्जा मंत्री शुक्ल ने कहा कि नर्मदा की सहायक नदियों के संरक्षण की भी आवश्यकता है। परिषद से जुड़े स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि जन जागरण के लिए अभियान चलाएं।
प्रख्यात पर्यावरणविद् और मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नदियों का संरक्षण भारत की प्राचीन परम्परा का प्रमुख आधार रहा है। भारत में जब तक नीर, नारी और नदी का सम्मान हुआ है तब तक भारत की पहचान विश्व गुरु के रूप में होती रही है।
उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के कारण मध्यप्रदेश की पहचान सारे देश में प्राकृतिक रूप से सम्पन्न राज्यों के रूप में होती है। प्रत्येक प्रदेशवासी को यह संकल्प लेना होगा कि वे नर्मदा नदी के साथ-साथ अन्य नदियों में गंदे प्रवाहों को जाने से रोकेंगे। ऐसा होने पर ही प्रदेश की नदियां साफ -सुथरी और संरक्षित होगी।
जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने जल सुरक्षा के लिए आम जन में जागृति लाने पर जोर देते हुए कहा कि सरकारों के सहारे जल को संरक्षित व सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। इसके लिए जरुरी है कि जनभागीदारी बढ़ाई जाए।
इस कार्यशाला में जन अभियान परिषद सहित विभिन्न संगठनों से जुड़े लगभग 500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।