देवदत्त दुबे(भोपाल)-
मध्यप्रदेष में बीता वर्ष जहाँ चुनावी वर्ष रहा और जाते जाते पंचायत चुनाव को छोड़कर अधिकांष चुनाव निपटा गया लेकिन आने वाले वर्ष (2015) के लिये प्रदेष के दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस को एक बड़ी चुनौती दे गया है। यह एक ऐसी चुनौती है जिसमें या तो दल फर्जीवाड़ा करेंगे या फिर लक्ष्य पूरा न करने का बहाने बताये जायेंगे।
दर असल दोनों दलों ने सदस्यता का ऐसा लक्ष्य निर्धारित किया है जिसे पूरा न करना दुस्साहस ही नहीं बल्कि असंभव सा है।
सबसे पहले बात करते है प्रदेष सत्तारूढ़ दल भाजपा की जिसने प्रदेष में सवा दो करोड़ सदस्य बनाने की घोषणा की है यह घोषणा केसे संभव होगी इसका इंतजार सभी को रहेगा क्योंकि अभी तक भाजपा के प्रदेष में 57 लाख सदस्य है। जिसमें यह भी आरोप लगते रहे हैं कि ये आंकड़े फर्जी है पिछले विधान सभा चुनाव भाजपा को एक करोड़ 51 लाख वोट मिले थे। स्वाभाविक है इसमें शासकीय कर्मचारी भी वोटर होंगे जो सदस्यता लेने से रहे , ऐसे सवा दो करोड़ का लक्ष्य पार्टी कैसे भी पूरा नहीं कर सकती । नवम्बर से लेकर अभी तक 11 लाख सदस्य ही बन पाये है, घोषित लक्ष्य को पूरा करने के लिये प्रतिदिन 2 लाख सदस्य बनाना जरूरी है । जो कि असंभव है फिलहाल यही कहा जा सकता, भाजपा यदि सवा दो करोड़ सदस्य बनाने का दुस्साहस पूरा कर पाती है तो यह किसी आष्चर्य से कम नहीं होगा।
इसी तरह प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस है, जिसने 28 फरवरी तक प्रदेष में पच्चीस लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य भले ही भाजपा की तुलना में काफी छोटा हो लेकिन पार्टी की हालत इतनी कमजोर हो गइ्र है कि उसे इस छोटे से लक्ष्य को ही पूरा करने में पसीने छूट रहे है। लक्ष्य के हिसाब से पार्टी को प्रति दिन साढ़े चार हजार से अधिक सदस्य बनाने है । लेकिन पार्टी कमी 400 तो कभी 1000 सदस्य ही बना पा रही है और अभी तक पौने दो लाख सदस्य बना पाई है । मतलब साफ है, जनवरी और फरवरी 14-15 लाख सदस्य हर महीने में बनाना है। तब जाकर कहीं ए.आई.सी.सी. का दिया हुआ टारगेट पूरा होगा।
पार्टी में नई प्रक्रिया के अनुसार प्रदेष कांग्रेस में अब पदाधिकारियों का चयन निर्वाचन से होगा निर्वाचन में हिस्सा लेने के लिये सुपात्र सदस्य होना जरूरी है। ऐसे में ऐनवक्त पर कई बड़े नेता सुपात्र सदसय बनाने के लिये सक्रिय हो सकते है, सूत्रों की माने तो जुलाई-अगस्त में प्रदेष कांग्रेस कमेटी के चुनाव हो सकते है।
बहरलाल दोनों दलों के सदस्यता के लक्ष्य को छूने में पहले नगरीय निकाय चुनाव और अब पंचायत चुनाव की व्ययस्ता भी है साथ ही प्रदेष के महानगरों भोपाल, इंदौर व जबलपुर नगर निगमों के चुनाव भी जनवरी में होने है, ऐसे में दोनों ही दलों के लिये सदस्यता का लक्ष्य पूरा करना और भी कठिन हो रहा है।
जाहिर है दोनेां प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस की साख दाँव पर है दोनों ही दल अपने ही द्वारा निर्धारित किये गये लक्ष्यों को पूरा करने ने उलझा गये हे और नये वर्ष की शुरूआत में ही सदस्यता की पहाड़ सी चुनौती को पूरा करना निष्यित ही किसी दुस्साहस से कम नहीं ।
-देवदत्त दुबे