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नया साल रूसियों का सबसे बड़ा त्यौहार

0_6ed5c_ac3e3b15_XLदोस्तो, फिर से नया साल आनेवाला है। नए साल की रात यानी 31 दिसम्बर से 1 जनवरी की रात को हम सभी लोग नई आशाओं-प्रत्याशाओं के साथ नए साल का स्वागत करते हैं। उस दिन हम अपनी जाति, अपने धर्म, अपने सामाजिक स्तर, अपने राजनीतिक विचारों और नज़रिए की बात नहीं सोचते, बल्कि हम सभी का, रूस के सभी निवासियों का बस, एक ही सपना होता है कि नया साल सुखद हो, नए साल का यह पेड़ सुख के, ख़ुशी के फलों से लदा हुआ हो और हम सभी पुराने दुख भूल जाएँ।

रूस में नववर्ष का दिन एक त्यौहार की तरह मनाना पन्द्रहवीं शताब्दी में शुरू किया गया था। लेकिन तब नया साल पहली जनवरी को नहीं, बल्कि पहली सितम्बर को मनाया जाता था। मास्को के महाराजा इवान तृतीय ने नए साल का त्यौहार मनाने के लिए पहली सितम्बर की तारीख़ तय की थी। उस दिन मास्को के क्रेमलिन में बने ’सबोरनया प्लोशद’ पर यानी मन्दिर वाले मैदान में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होते थे। रूस के ज़ार भी अपने दरबारियों और मन्त्रियों के साथ अपने महल से लोगों के बीच निकल आते थे और फिर हँसी-ख़ुशी के माहौल में नए वर्ष की बधाई और शुभकामनाएँ एक-दूसरे को दी जाती थीं।

रूस के सनातन ईसाई धर्म के प्रमुख धर्माधिकारी तब दैवचित्रों और सलीबों के साथ एक धार्मिक जुलूस को लेकर उस मैदान में पहुँचते थे तथा रूस के ज़ार को और वहाँ उपस्थित सभी लोगों को अपना आशीर्वाद देते थे और नए साल में सबके स्वस्थ और सुखी रहने की कामना किया करते थे। इसके बाद समारोही प्रार्थना शुरू होती थी, जिसके बाद ज़ार और धर्माधिकारी एक-दूसरे को नववर्ष के अवसर पर बधाई देते थे। उसके बाद बारी-बारी से सभी मन्त्री, दरबारी और विशिष्ट लोग खड़े होकर अपनी तरफ़ से शुभकामनाएँ देते थे।

इसी तरह रूस में नववर्ष मनाया जाता था। लेकिन सन् 1699 में रूस के सुधारवादी ज़ार पीटर-प्रथम ने यह तय किया कि रूसी लोग भी अब यूरोप की तरह ही रहेंगे। रूस में भी यूरोप की तरह ही जीवन होगा।

अब रूस में नया वर्ष क्रिस्मस के बाद मनाया जाएगा। ज़ार पीटर प्रथम ने आदेश निकाल दिया कि रूस में सब लोग अपने-अपने ढंग से नया साल मनाते हैं और यह कोई तरीका नहीं है। इसलिए अब से सारे रूस के निवासी पहली जनवरी को नया साल मनाया करेंगे। नए साल के शुरूआत के अवसर पर सभी लोग एक-दूसरे को बधाई देंगे और यह त्यौहार हँसी-ख़ुशी का त्यौहार होगा। सब लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देंगे और पारिवारिक सुख की सुखद भविष्य की कामना करेंगे।

उस साल ज़ार पीटर प्रथम ने मास्को में अभूतपूर्व ढंग से नए साल का त्यौहार मनाने की तैयारियाँ कीं। रात 12 बजे ज़ार पीटर प्रथम एक मशाल हाथ में लेकर ख़ुद भी क्रेमलिन से बाहर लाल चौक पर आ गए और उन्होंने आतिशबाज़ी शुरू कर दी। इसके बाद मास्को के आकाश में तरह-तरह की आतिशबाज़ी दिखाई देने लगी। उस साल नया साल सात दिन तक मनाया गया था। इस तरह पहली जनवरी सन् 1700 का स्वागत बड़े जोश-ओ-ख़रोश से किया गया और रूसी कलैण्डर में यह दिन नए साल के त्यौहार के रूप में हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया।

फिर 1917 की क्रान्ति के बाद सोवियत सरकार ने क्रिस्मस का त्यौहार मनाने पर तो रोक लगा दी, लेकिन नए वर्ष का त्यौहार रूस की जनता पहले की तरह ही ख़ूब जोश के साथ मनाती रही। यही नहीं, व्लदीमिर लेनिन ने आदेश दिया कि मज़दूरों के बच्चों के लिए क्रेमलिन में एक बड़ा फ़रवृक्ष सजाया जाए। लेकिन 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद इस त्यौहार के बारे में भी सरकार का रवैया बदल गया। कम्युनिस्टों ने नववर्ष को बुर्जुआ त्यौहार घोषित कर दिया। सोवियत अख़बारों में मज़दूरों की तरफ़ से भेजे गए ऐसे अनेक पत्र छपे, जिनमें फ़रवृक्ष सजाने का विरोध किया गया था।

लेकिन फिर 1930 के दशक में रूस की सरकार ने नए साल को एक त्यौहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया। 28 दिसम्बर 1935 को कम्युनिस्टों के प्रमुख अख़बार ’प्राव्दा’ में एक लेख छपा, जिसमें नए साल के त्यौहार को फिर से शुरू करने की वकालत की गई थी। लेख में लेखक ने यह सवाल उठाया था कि मज़दूरों के बच्चों को ’नववर्ष’ जैसे शानदार त्यौहार से क्यों वंचित रखा जा रहा है। तब ’प्राव्दा’ अख़बार में किसी लेख के छपने का मतलब था कि रूस में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऐसा ही चाहती है और जो पार्टी चाहती है, उस काम को ठीक ढंग से पूरा किया जाना चाहिए। फिर अगले ही दिन सरकार ने यह अध्यादेश भी जारी कर दिया कि छात्रों के लिए 1936 के नए वर्ष के अवसर पर विशेष समारोह आयोजित किए जाएँ। देश के सभी कारख़ानों और फ़ैक्ट्रियों को भी यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई कि वे मज़दूरों के बच्चों के लिए उपहार तैयार करें। रूस के बाज़ारों में फ़रवृक्ष बेचे जाने लगे। सोवियत सताकाल में छपने वाले सभी अख़बारों ने नए साल के प्रति अपना नज़रिया फिर से बदल दिया और अब नए साल को समर्पित लेख अख़बारों और पत्रिकाओं में दिखाई देने लगे। बाद में धीरे-धीरे नया साल देश का एकमात्र ऐसा त्यौहार रह गया, जिसका कम्युनिस्ट विचारधारा से कोई रिश्ता नहीं था।

लेकिन पहली जनवरी का दिन तब भी काम का दिन माना जाता था। पहली जनवरी को सुबह-सुबह काम पर जाने में उन लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती थी, जो सारी रात नववर्ष का त्यौहार मनाते रहे हैं। सिर्फ़ 1948 में ही सरकार ने पहली बार पहली जनवरी को छुट्टी का दिन घोषित किया। फिर सोवियत संघ के पतन के बाद 1992 में रूस में 2 जनवरी को भी छुट्टी का दिन घोषित कर दिया गया। और फिर सन् 2005 से रूस में नववर्ष के अवसर पर पाँच दिन की छुट्टियाँ होने लगीं। अब पहली से पाँच जनवरी तक सारे रूस में नववर्ष की छुट्टियाँ होती हैं। अगर इन पाँच दिनों के भीतर शनिवार या रविवार आता है तो उसकी अलग से छुट्टी मानी जाती है। फिर 7 जनवरी को रूस में क्रिस्मस मनाया जाता है, उस दिन भी छुट्टी होती है। इस तरह रूस में नववर्ष और क्रिस्मस की छुट्टियाँ कम से कम सात-आठ दिन की होने लगी हैं।

लेकिन यही नहीं रूस में ग्रिगोरियन कलैण्डर के अलावा जूलियन कलैण्डर के हिसाब से भी नया साल मनाया जाता है। जो आजकल लागू कलैण्डर के 14 दिन बाद पड़ता है। यानी 14 जनवरी को भी रूस में जूलियन कलैण्डर के हिसाब से नया साल मनाया जाता है।
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