हरिद्वार-अभ्यास से कुछ भी संभव है, इस बात को साबित करता है दस साल का नन्हा रोहित। लोगों को जानकर और देखकर हैरत होती है कि रोहित 150 से अधिक आसन आसानी से कर लेता है। वह ऐसे आसन भी कर लेता है, जिसे सीखने में ही कई लोगों के पसीने छूट जाते हैं। रोहित शिरपीड़ासन, मूढ़ गर्भासन, हस्तबद्ध शिरपादासन, शकुनि आसन, विपरीत पादांगुष्ठशीषा स्पर्शासन, कंदपीड़ ऊध्र्वनमस्कारासन, लिकारासन सहित कई बड़े ही कठिन आसन आसानी कर लेता है। ऐसा लगता है कि जैसे उसकी हड्डी रबर की हो।
डींबासन और टीट्टीभासन तो उसके लिए खेल जैसा है।
रोहित जब दो साल का था, तभी से उसने अपने योग शिक्षक पिता रवीन्द्र यादव को योग और आसन करते देख स्वत:स्फूर्त योग करना शुरू कर दिया था। रवीन्द्र यादव गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में स्वयंसेवी कार्यकर्ता हैं। शांतिकुंज स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय का वातावरण और योग विभाग का सहयोग रोहित की प्रगति का कारण है।
30 सितम्बर, 2004 में जन्मा रोहित अभी तक कई राज्यस्तरीय व राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता में भाग ले चुका है और कई पदक भी अपने नाम कर चुका है। रोहित योग में ही नहीं, पढ़ाई में भी अव्वल है।
गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के कक्षा पांचवी के छात्र रोहित उत्तराखंड के राज्यस्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भी कई पदक प्राप्त कर चुका है।
रोहित राजकपोत आसन, हनुमानासन, विपरीत शलभासन, मयूरासन, भीषणासन, कूर्मासन सहित 150 से अधिक आसन करता है। वह नित्य योगासन में ढाई घंटा का समय लगाता है। कुछ हमउम्र बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण भी देता है।
मूलत: बिहार के शेखपुरा जिले के निवासी रविन्द्र यादव गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में सन 1987 से सेवा दे रहे हैं। वह कहते हैं कि रोहित को योग के प्रति बचपन से ही लगाव था। जिस योगासन को करने में खुद उन्हें परेशानी होती थी, उसे वह सहजता से कर लेता था। उसकी लगन देखकर उसे विधिवत प्रशिक्षण देना शुरू किया और धीरे-धीरे वह योग में पारंगत होता चला गया।